बरहट . एक लाख से अधिक आबादी वाले बरहट प्रखंड का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आज भी अपने भवन के अभाव में बदहाल स्थिति में संचालित हो रहा है. बीते 22 वर्षों से यह अस्पताल मानो वेंटिलेटर पर चल रहा है. वर्तमान समय में बरहट पीएचसी का ओपीडी, जांच कक्ष, रजिस्ट्रेशन काउंटर और दवा वितरण काउंटर आयुर्वेद अस्पताल के भवन में संचालित किये जा रहे हैं. जबकि अस्पताल का कार्यालय उप-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है. भवन की कमी का सबसे गंभीर असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है. प्रसव की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण यहां आने वाली महिलाओं को मलयपुर उप-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया जाता है. नतीजतन अधिकांश गर्भवती महिलाएं सदर अस्पताल या निजी क्लिनिकों का रुख करने के लिए विवश हो जाती हैं. विडंबना यह है कि जमीनी हकीकत इतनी खराब होने के बावजूद सरकारी आंकड़ों में सब कुछ संतोषजनक बताया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल की अव्यवस्था से आम मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं.
2003 में हुआ था उद्घाटन, आज तक नहीं मिला अपना
भवन
बरहट को पिछड़ा इलाका माना जाता है. यहां के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरहट का उद्घाटन किया था. हैरानी की बात यह है कि इतने वर्षों बाद भी अस्पताल अपने स्थायी भवन के लिए तरस रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय लापरवाही और अधिकारियों की उदासीनता के कारण आज तक पीएचसी को अपना भवन नसीब नहीं हो सका. इधर, वर्ष 1999 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव द्वारा उद्घाटित उप-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी अब जर्जर हालत में पहुंच चुका है, जहां कार्यालय चलाना जोखिम भरा साबित हो रहा है.क्या कहते हैं चिकित्सा पदाधिकारी
प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विवेक कुमार सिंह ने बताया कि पीएचसी भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव आया हुआ है. लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है. उन्होंने माना कि भवन के अभाव में अस्पताल संचालन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

