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दुखद स्थिति . करोड़ों खर्च के बाद भी नगरवासियों को नहीं मयस्सर हो रही साफ-सफाई नगर परिषद के पास साफ-सफाई को लेकर कोई ठोस योजना नहीं है. विभाग आनन-फानन में राशि अवश्य खर्च कर रही है लेकिन सफाई को लेकर अबतक कोई रणनीति नहीं बना सकी है. जमुई : प्रतिवर्ष एक करोड़ रुपया से अधिक […]

दुखद स्थिति . करोड़ों खर्च के बाद भी नगरवासियों को नहीं मयस्सर हो रही साफ-सफाई

नगर परिषद के पास साफ-सफाई को लेकर कोई ठोस योजना नहीं है. विभाग आनन-फानन में राशि अवश्य खर्च कर रही है लेकिन सफाई को लेकर अबतक कोई रणनीति नहीं बना सकी है.
जमुई : प्रतिवर्ष एक करोड़ रुपया से अधिक खर्च होने का बाबजूद भी नगर परिषद क्षेत्र के लोगों वाजिब साफ-सफाई मय्यसर नहीं हो पा रहा है. जानकारी के अनुसार वर्ष 1972 से निर्मित जमुई नगरपालिका को सरकार द्वारा वर्ष 2002 में नगर परिषद का दर्जा प्रदान किया गया था. वर्तमान में 30 वार्डों में विभक्त हो कर नगर परिषद कार्यरत है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार नगर परिषद की आबादी लगभग 90 हजार है. विभागीय आंकड़ों की मानें तो नगर परिषद का दर्जा पाने के बाद साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च होने के बाबजूद भी क्षेत्र में सफाई का आलम संतोषजनक नहीं है. सबसे आश्चर्य करने वाली बात है
कि नगर परिषद के पास साफ-सफाई को लेकर कोई ठोस योजना नहीं है. जिसके परिणामस्वरूप करोड़ों खर्च होने के बाद भी शहर के लोगों को बेहतर साफ-सफाई की सुविधा मयस्सर नहीं हो रहा है. विभाग आनन-फानन में राशि अवश्य खर्च कर रही है लेकिन सफाई को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं बना सकी है. सूत्रों की मानें तो सफाई को लेकर कभी एनजीओ को लगाया गया तो कभी नगर परिषद कार्यालय के द्वारा ही इसका जिम्मा लिया गया है, लेकिन क्षेत्र की सफाई में गुणात्मक सुधार आजतक नहीं प्रतीत हो सका है. क्षेत्र के लोग बताते हैं कि नगर परिषद द्वारा सफाई के मद में किये जा रहे खर्च आदि की जांच-पड़ताल किया जाये तो परिणाम चौंकाने वाला हो सकता है.
सभी वार्ड तक नहीं पहुंचते हैं सफाई कर्मी
करीब नौ से दस लाख रुपया प्रतिमाह सफाई मद में खर्च होने के बावजूद भी सभी वार्ड तक सफाई कर्मी नहीं पहुंच पाते हैं. सफाई का जिम्मा ले रहे कर्मचारी शहर व आसपास के चार-पांच वार्ड की सफाई कर ही अपनी जिम्मेवारी पूरा कर रहे हैं. परिणामत: आधा से अधिक वार्ड के लोग सफाई के नाम पर ठगा-सा ही महसूस कर रहे हैं. आधे से अधिक वार्ड क्षेत्र का आलम है कि यत्र-तत्र गंदगी का ढेर ही लगा रहता है. लोग स्वयं अपने कचरा को उठाकर सही जगह पर फेंकते है.
मैं नगर परिषद बड़हिया में कार्यरत हूं. मुझे जमुई नगर परिषद का भी प्रभार दिया गया है. कार्यालय के पास उपलब्ध संसाधनों व कर्मियों के आधार पर सभी वार्डों की साफ-सफाई बेहतर तरीके से करने का प्रयास किया जा रहा है.
एस कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी
सफाई को लेकर लेकर खरीदा गया उपकरण भी आज तक बना है निरर्थक
नगर परिषद की ओर से सफाई को लेकर यंत्र-संयंत्र तथा अन्य उपकरण की खरीदारी करने में भी करोड़ों रुपया खर्च किया गया है. इतना खर्च होने के बावजूद भी शहर सहित आसपास के क्षेत्र में व्याप्त गंदगी इस पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर रहा है. जानकारी के अनुसार जमुई नगर कार्यालय द्वारा सफाई को लेकर करीब दो साल पूर्व लाखों रुपया खर्च कर लोहा का डस्टबीन की खरीदारी की गयी. जिसे सभी वार्ड में जगह-जगह पर रखा गया, लेकिन लोगों के लिए कारगर नहीं हो सका. क्षेत्र की लोगों की मानें तो विभाग के द्वारा इसे लेकर आगे की पहल नहीं की गयी. इसके भर जाने के बाद दुबारा खाली ही नहीं कराया गया. परिणामत: लोग डस्टबीन के आसपास ही कचरा फेंकने लगे. जिससे उक्त स्थल पर कचरा के जमा हो जाने पर आसपास के लोगों के लिए आफत का सबब बन गया. लाखों खर्च कर खरीद किया गया डस्टबीन शोभा की वस्तु बन कर रह गया. करीब साल भर के बाद ही कार्यालय द्वारा पुन: लाखों खर्च कर प्लास्टिक डस्टबीन सहित अन्य कई तरह के उपकरण की खरीदारी की गयी लेकिन उक्त उपकरण भी लोगों के लिए सार्थक नहीं बन सका है.

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