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अस्पताल में आयुर्वेदिक दवा का स्टॉक नहीं एलोपैथिक दवा लिख रहे आयुष चिकित्सक

जमुई : स्वास्थ्य विभाग लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में लगा है. ग्रामीण चिकित्सा पद्धति से स्वास्थ्य लाभ देने के लिए बहाल किये गये आयुष चिकित्सक आयुर्वेदिक दवा के अभाव में मरीजों को एलोपैथिक दवा लिख रहे हैं. बताते चलें कि ग्रामीण क्षेत्र में वाह्य सेवा सुचारु रूप से चलाने को लेकर सरकार के […]

जमुई : स्वास्थ्य विभाग लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में लगा है. ग्रामीण चिकित्सा पद्धति से स्वास्थ्य लाभ देने के लिए बहाल किये गये आयुष चिकित्सक आयुर्वेदिक दवा के अभाव में मरीजों को एलोपैथिक दवा लिख रहे हैं. बताते चलें कि ग्रामीण क्षेत्र में वाह्य सेवा सुचारु रूप से चलाने को लेकर सरकार के निर्देशानुसार सभी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुष चिकित्सकों की बहाली की थी. इन चिकित्सकों को आयुष चिकित्सा पद्धति से ही मरीजों का उपचार करना है.

लेकिन ये चिकित्सक मरीजों का उपचार में एलोपैथिक इलाज प्रणाली अपना रहे हैं, जो उचित नहीं है. अपनी चिकित्सा पद्धति में दक्ष आयुष चिकित्सक एलोपैथिक उपचार में सक्षम नहीं हो सकते हैं, फिर भी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों को एलोपैथिक दवा ही लिखा जा रहा है. जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के निर्देश पत्र में भी साफ निर्देश है

कि आयुष चिकित्सकों से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर वाह्य सेवा सुचारु रूप से चलाया जाये और इन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर एलोपैथिक चिकित्सा कार्य में नहीं लगाया जाये. लेकिन, इस आदेश के विपरीत आयुष चिकित्सक मरीजों का उपचार कर रहे हैं.

एक बार ही हो सकी है दवा की आपूर्ति
जानकारी के अनुसार जब जिले में आयुष विभाग के पद का सृजन किया गया उसके बाद से केवल एक बार ही आयुर्वेदिक दवा की आपूर्ति की जा सकी है. वर्ष 2010 के बाद इन सात सालों में केवल एक बार ही दवा की आपूर्ति किये जाने के कारण अब आयुष चिकित्सक बिना दवा के ही काम करने को मजबूर हैं. इस बाबत आयुष चिकित्सक बताते हैं कि कुछ बीमारियां ऐसी है कि जिनका इलाज केवल आयुर्वेद से ही संभव है. परंतु ऐसी बीमारी और उसका इलाज ज्ञात होने के बावजूद भी दवा के अभाव में हम मरीजों का इलाज नहीं कर पाते हैं. ऐसे में आयुष चिकित्सा विफल होता नजर आ रहा है.
जिले में 32 पद सृजित, 20 आयुष चिकित्सक हैं पदस्थापित
क्या थी सरकार की योजना
भारत सरकार के द्वारा ग्रामीण स्तर पर लोगों को ग्रामीण चिकित्सा पद्धति से लाभान्वित करने के उद्देश्य से भारतीय चिकित्‍सा पद्धति एवं होम्‍योपैथी विभाग (भाचिप एवं होमियो) की स्‍थापना मार्च 1995 में की गई थी. नवम्‍बर वर्ष 2003 में इसका नाम बदल कर आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्‍सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्‍योपैथी (आयुष) विभाग रखा गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्‍सा, यूनानी, सिद्ध व होम्‍योपैथी चिकित्‍सा पद्धतियों में शिक्षा और अनुसंधान के विकास पर ध्‍यान सकेंद्रित किया जा सके. विभाग आयुष से संबंधित शैक्षिक मानकों के उन्‍नयन, औषधि के गुणवत्ता नियंत्रण एवं मानकीकरण, औषधीय पादपों की उपलब्‍धता में सुधार, भारतीय चिकित्‍सा पद्धतियों की राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रभावकारिता के बारे में अनुसंधान और विकास करने के साथ-साथ उनके बारे में जागरूकता उत्‍पन्‍न करने के लिए निरंतर तत्‍पर है. जमुई जिले के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में वर्ष 2010 में आयुष चिकित्सकों के 32 पद सृजित किये गये. आयुष चिकित्सक में आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति के 20 चिकित्सकों की बहाली की गयी.

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