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भवन विहीन विद्यालयों में शिक्षा पर संकट

1664 में से 130 विद्यालयों के पास अपना भवन का अभाव जमुई : विद्यालय का सरल व शाब्दिक अर्थ है विद्या का का घर. पर क्या हो अगर विद्यालय का अपना भवन ही न हो. जिले के 130 विद्यालयों में फिलवक्त बिल्कुल यही स्थिति है. यह सभी विद्यालय अपने भवन के बिना ही किसी तरह […]

1664 में से 130 विद्यालयों के पास अपना भवन का अभाव

जमुई : विद्यालय का सरल व शाब्दिक अर्थ है विद्या का का घर. पर क्या हो अगर विद्यालय का अपना भवन ही न हो. जिले के 130 विद्यालयों में फिलवक्त बिल्कुल यही स्थिति है. यह सभी विद्यालय अपने भवन के बिना ही किसी तरह संचालित किया जा रहा है. जिस वजह से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का वायदा अधर में लटकता नजर आ रहा है. बताते चलें कि जिले में कुल 1664 प्राथमिक व मध्य विद्यालय का संचालन किया जा रहा है. अब तक 130 ऐसे विद्यालय हैं जिन्हें अपना भवन तक नसीब नहीं हो सका है. इस बाबत जिम्मेदार अधिकारी जगह का अभाव व फंड की कमी का हवाला देकर इतिश्री कर देते हैं. पर यह स्थिति अपने आप में एक बहुत बड़ा प्रश्न बनता जा रहा है.
निकटतम विद्यालय से किया गया है टैग
जिन विद्यालयों के पास अपना भवन नहीं है उन विद्यालयों को सबसे नजदीक के विद्यालय से टैग किया गया है व दोनों विद्यालयों का संचालन एक साथ ही किया जा रहा है. टैग किये जाने के बाद अब भी 38 विद्यालय ऐसे हैं जिन्हें बिना भवन के ही संचालित किया जा रहा है. हालांकि भवनविहीन विद्यालय को समीप के विद्यालय से टैग किये जाने को लेकर अभिभावक की राय भिन्न है.
कई गांवो में स्थिति इतनी विकट है कि भवनविहीन विद्यालय से सबसे नजदीक का विद्यालय तीन से पांच किलोमीटर दूर अवस्थित है, ऐसे में उन विद्यालयों को टैग कर भी दिया गया है जिसके बाद नौनिहालों के लिए पांच किलोमीटर पदयात्रा कर विद्यालय जाना संभव नहीं हो पा रहा है. पर जवाबदेह अधिकारी इससे इतर मध्याह्न भोजन योजना व छत्रवृत्ति, पोशाक तथा साइकिल की राशि वितरण योजना में ज्यादा मशगूल दिखाई देते हैं.
कैसे मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
हमारे आज के नौनिहाल कल के भविष्य कहे जाते हैं. ऐसे में शिक्षा उनके जीवन निर्माण में मजबूत स्तंभ का काम करती है. पर आसमान में उड़ने की आकांक्षा लिए इन नौनिहालों को खुले आसमान में शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. ऐसे में उनके सभी सपने धुंधले पड़ने लगे हैं. बताते चलें कि जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत गोसाईडीह में बांस की बल्लियों से निर्मित झोंपड़ी में विद्यालय का संचालन किया जा रहा है. इसको लेकर प्रभात खबर ने दो बार खबर भी प्रकाशित की है लेकिन आजतक कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है.

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