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जान जोखिम में डाल ब्रेक यान में सफर

झाझा : पटना-झाझा मुख्य रेलखंड के बीच सवारी ट्रेन का संचालन प्रर्याप्त नहीं रहने के कारण भी इस रूट में अत्यधिक भीड़ हो जाती है. इस कारण भी इस रेलखंड पर यात्री कोच के अलावा सामान व ब्रेक यान में सवार होकर यात्रा करने को मजबूर होते हैं. खासकर त्यौहार और परीक्षा आदि होने पर […]

झाझा : पटना-झाझा मुख्य रेलखंड के बीच सवारी ट्रेन का संचालन प्रर्याप्त नहीं रहने के कारण भी इस रूट में अत्यधिक भीड़ हो जाती है. इस कारण भी इस रेलखंड पर यात्री कोच के अलावा सामान व ब्रेक यान में सवार होकर यात्रा करने को मजबूर होते हैं. खासकर त्यौहार और परीक्षा आदि होने पर इस रेलखंड पर यात्रा करना दूभर हो जाता है.
सामान व ब्रेक यान बोगी में सवार कर रहे यात्री से प्रभात खबर के द्वारा पूछे जाने पर अपनी व्यथा बताते हुए दर्जनों रेलयात्री बताते हैं कि हाबड़ा-पटना का मेन लाइन होने के बाबजूद भी अबतक इस रेलखंड पर प्रर्याप्त रेलगाड़ी का आवागमन नहीं होता है. मजबूरन लोग जो भी गाड़ी मिलता है उसमें जैसे-तैसे यात्रा करने को बाध्य हो जाते हैं. कई यात्रियों ने बताया कि झाझा से पटना के जाने के लिए सुबह 7:40 बजे के बाद करीब पांच घंटा के बाद ही ट्रेन है. जिस कारण यात्रियों को काफी दिक्कत होती है. सामान्य कोच में अत्यधिक भीड़ को देखते हुए आम यात्री सामान व ब्रेक यान बोगी का सहारा लेकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं.
दुर्घटना होने की रहती है आशंका
रेल यात्री बताते हैं कि अत्यधिक भीड़ व अन्य कारणों से ब्रेकवैन या जैसे-तैसे सफर करने में हमेशा खतरा का भय बना रहता है. एक तो उस कोच में बैठने का मुक्कमल साधन नहीं रहता है. उसके बाद स्टेशन पर रुकने के दौरान पायदान नहीं बने रहने के चलते चढ़ने-उतरने के दौरान दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. रेलवे यात्री रामनरेश ठाकुर, सुकदेव यादव, महेश मालाकार, जयदेव मालाकार, रुबिया देवी, सातो यादव, रूकमिनी देवी समेत कई लोगो कहते हैं कि सरकार के लाख प्रयास के बाबजूद भी रेलवे की व्यवस्था में गुणात्मक सुधार नहीं हो पा रहा है. जबकि इस विभाग से सरकार को अच्छी राजस्व की प्राप्ति होती है.इसके बाबजूद भी अबतक मेन लाइन की व्यवस्था में भी मुक्कमल सुधार नहीं हो सका है.
सजा का है प्रावधान. रेलवे प्रावधान के अनुसार यदि कोई रेलवे यात्री ब्रेकवैन में सफर करते हुए पकड़े जाते हैं तो उसे सजा का भागी बनना पड़ेगा. विभाग के द्वारा इसे लेकर एक माह से छह माह तक कैद या जुर्माना करने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावे यदि कोई पुरुष यात्री रेलवे की महिला बोगी में सफर करते हुए पकड़े जाते हैं तो उन्हें भी सजा देने का प्रवधान है. लेकिन इसके बाबजूद भी लोग धड़ल्ले से ब्रेकवैन आदि में सफर करते हैं और रेल प्रशासन मूक दर्शक बना रहता है.
बोले आरपीएफ निरीक्षक . इस बाबत आरपीएफ निरीक्षक आर के कछवाहा बताते हैं कि ब्रेक भान और प्रतिबंधित बागी में सफर करना कहीं से न्यायोचित नहीं है. इसे लेकर रेल पुलिस द्वारा लगातार कार्रवाई किया जाता है.

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