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Holi 2021: 28 मार्च को दिन में भद्रा समाप्त, जानिए किस समय होलिका दहन करना रहेगा शुभ…

Holi 2021: इस बार होलिका दहन और होली की तिथि को लेकर किसी तरह का कोई संशय नहीं है. आंतर भी नहीं है. पंचागों के अनुसार 28 मार्च (रविवार) को होलिका दहन, 29 (सोमवार) को रंगों का त्योहार और 30 मार्च (मंगलवार) को मटकाफोड़ होली (झूमटा) है. पंचागों के अनुसार 28 मार्च को दोपहर में भद्रा समाप्त हो रहा है और रात 8 बजकर 32 मिनट से पहले तक होलिका दहन करना अतिशुभ है.

Holi 2021: इस बार होलिका दहन और होली की तिथि को लेकर किसी तरह का कोई संशय नहीं है. आंतर भी नहीं है. पंचागों के अनुसार 28 मार्च (रविवार) को होलिका दहन, 29 (सोमवार) को रंगों का त्योहार और 30 मार्च (मंगलवार) को मटकाफोड़ होली (झूमटा) है. पंचागों के अनुसार 28 मार्च को दोपहर में भद्रा समाप्त हो रहा है और रात 8 बजकर 32 मिनट से पहले तक होलिका दहन करना अतिशुभ है.

आचार्य नर्मदेश्वर मिश्र ने बताया कि भद्रा समाप्त होने के साथ ही पूर्णिमा में ही होलिका दहन करना अच्छा होता है. सभी पंचागों के अनुसार 28 मार्च की दोपहर में भी भद्रा समाप्त हो रहा है. वैसे तो सूर्यास्त के बाद जब तक पूर्णिमा है, तब तक होलिका दहन किया जा सकता है. लेकिन, रात 8 बजकार 32 मिनट से पहले होलिका दहन अति शुभ है.

आचार्य ने बताया कि हृषिकेश (हरिद्वार) पंचांग के अनुसार 28 मार्च की दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर भद्रा समाप्त हो रहा और रात 12 बजकर 32 मिनट तक पूर्णिमा है. इसी प्रकार हृषिकेश शिवमूर्ति के अनुसार भद्रा 1 बजकर 33 मिनट तक है. इसके बाद 12 बजकर 39 मिनट तक पूर्णिमा, हनुमान के अनुसार 1 बजकर 43 मिनट तक भद्रा और 12 बजकर 40 मिनट तक पूर्णिमा है. महावीर के अनुसार 1:33 बजे तक भद्रा व 12:40 तक पूर्णिमा, मर्तण्ड के अनुसार 1.53 व 2.18 और अन्नपूर्णा के अनुसार 1.34 व 12.40 है.

होलिका दहन के लिए चौराहों पर जमा होने लगी सामग्री

होली के साथ ही होलिका दहन की तैयारी जोरों पर है. शहर के चौक-चौराहों से लेकर ग्रामीण इलाकों में लकड़िया, गोइठा सहित जलने वाली अन्य सामग्री इकट्ठा होने लगी है. अगजा को लेकर बच्चों में विशेष उत्साह है. लेकिन, अभी तक बाजार में सन्नाटा है. दूसरे प्रदेशों में कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर आम लोगों के साथ-साथ कारोबारी भी चिंतित हैं.

होलिका दहन में सिद्धिदायक होता है मंत्रों का जाप

आचार्य नर्मदेश्वर मिश्र ने बताया कि मार्कण्डेय पुराण के अनुसार होलिका दहन की रात्रि को काल रात्रि, दीपावली की रात्रि को मोहरात्रि और शिवरात्रि की रात को महारात्रि कहा जाता है. इन तीनों रात्रि में यंत्र निर्माण तंत्र साधन और मंत्रों का जाप करना सिद्धिदायक है. होलिका दहन की रात को हुताशनी रात्रि भी कहा जाता है. इस कारण इस दिन भारी संख्या में लोग यंत्र सिद्धि मंत्र सिद्धि और तंत्र सिद्धि के लिए अनुष्ठान करते हैं.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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