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तिब्बती भाषा के पांच ग्रंथ अब हिन्दी में भी, जल्द पढ़ने को होंगे उपलब्ध, तिब्बत से लाये थे राहुल सांकृत्यायन

तिब्बती ग्रंथों का अनुवाद, संपादन और प्रकाशन का दायित्व सारनाथ केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान को सौंपा गया है. अनुवाद और प्रकाशन का संपूर्ण वित्तीय भार बिहार सरकार द्वारा वहन किया जाना है.

पटना. राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लायी गयी पोथियों काे अब हिंदी में भी लोग पढ़ सकेंगे. बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग और सारनाथ के केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के बीच हुए करार के बाद अब पांच पोथियां छपने को तैयार है. कुछ ही दिनों में यह अद्भुत पोथी संग्रह बिक्री के लिए भी उपलब्ध होगी. राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लायी गयी कम्युर (बुद्ध वचन), तन्ग्युर (शास्त्र) एवं सुङ्-बुम (भोट नाचार्यों द्वारा रचित शाख) की पोथियां पटना संग्रहालय में रखी हैं. इन्हीं का हिन्दी भाषा में अनुवाद किया गया है.

समझौते के तहत तिब्बती पांडुलिपियों का अनुवाद कर्म विभंग सूत्र, प्रज्ञापारमित्रहृदयसूत्र पर आठ भाष्य, आचार्य दीपांकर श्रीज्ञान के आठ ग्रंथ, मध्यमकलंकार कारिका भाष्य और भाष्य और दुर्लभ पांडुलिपियों का संपादन- ग्रन्थमाला के रूप में किया गया है. अनुवाद करने के बाद केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के कुलपति प्रो. गेशे नवांग सम्तेन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आशीर्वचन लिखने का अनुरोध किया है.

तिब्बती ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद का फायदा संपूर्ण हिन्दी भाषियों को होगा

तिब्बती संस्थान के कुलपति प्रो सम्तेन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुये अपने पत्र में लिखा है कि तिब्बती ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद करवाने के आपके निर्णय का फायदा न केवल बिहार के लोगों के लिये बल्कि संपूर्ण देश और विशेषकर हिन्दी भाषियों के लिए लाभप्रद और महत्त्वपूर्ण साबित होगा. यह साहित्य संग्रह संख्या के दृष्टि से हजारों में है. महत्त्व की दृष्टि से भगवान बुद्ध और नालंदा आदि के आचार्यों और तिब्बती विद्वानों के द्वारा रचित ग्रन्थ हैं. जिनके विषय अत्यन्त व्यापक हैं जैसे दर्शन, न्याय, प्रमाण, तन्त्र, साधना, चिकित्सा, कला, काव्य, व्याकरण ज्योतिष आदि. इन ग्रन्थों के अनुवाद और अध्ययन-अध्यापन से प्राचीन नालंदा ज्ञान परंपरा का पुनः स्थापन, संरक्षण व संवर्धन हो सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री से अपने मैसेज के साथ-साथ विमोचन के लिए दलाइ लामा से भी आग्रह करने के लिए कहा है.

50 तिब्बती ग्रन्थों का होना है हिन्दी भाषा में अनुवाद

करार के तहत सारनाथ के केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान द्वारा 50 ग्रन्थों का हिन्दी भाषा में अनुवाद किया जा रहा. साथ ही राहुल सांकृत्यायन के द्वारा लाये गये 21 पाण्डुलिपियों का संपादन भी हुआ है.

यह है समझौते का मजमून

समझौते के अनुसार तिब्बती ग्रंथों का अनुवाद, संपादन और प्रकाशन का दायित्व सारनाथ केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान को सौंपा गया है. अनुवाद और प्रकाशन का संपूर्ण वित्तीय भार बिहार सरकार द्वारा वहन किया जाना है.

हिंदी अनुवादित ग्रंथ

  • कर्म विभंग सूत्र

  • प्रज्ञापारमित्रहृदयसूत्र पर आठ भाष्य

  • आचार्य दीपांकर श्रीज्ञान के आठ ग्रंथ

  • मध्यमकलंकार कारिका भाष्य

  • भाष्य और दुर्लभ पांडुलिपियों का संपादन- ग्रन्थमाला

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