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Hajipur News : बारात मंगाने के लिए करानी पड़ रही सड़क की मरम्मत

पातेपुर प्रखंड के राघोपुर नरसंडा पंचायत अंतर्गत अहरा टोला के लोगाें को दशकों से जर्जर सड़क का दंश झेलना पड़ रहा है. सड़क की स्थिति ऐसी है कि टोला में किसी की बेटी की बारात आनी होती है तो उसे अपने खर्च से बारात आने लायक बनवाना पड़ता है

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हाजीपुर. पातेपुर प्रखंड के राघोपुर नरसंडा पंचायत अंतर्गत अहरा टोला के लोगाें को दशकों से जर्जर सड़क का दंश झेलना पड़ रहा है. सड़क की स्थिति ऐसी है कि टोला में किसी की बेटी की बारात आनी होती है तो उसे अपने खर्च से बारात आने लायक बनवाना पड़ता है, जबकि उसी टोला के निवासी शहीद मौजे सहनी 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में अपनी शहादत दी थी. हर साल शहीद के स्मारक पर स्थानीय जनप्रतिनिधि, विधायक व अन्य गण्यमान्य लोग फूल माला चढ़ाने जरूर पहुंचते हैं. उसी शहीद की पोती की बारात आने के लिए उनके पुत्र सुरेंद्र सहनी को चलने लायक सड़क बनवानी पड़ रही है. उस सड़क के निर्माण को लेकर टोला एवं पंचायत के लाेग कई बार विधायक एवं जिला प्रशासन के पदाधिकारियों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों का पुतला दहन भी कर चुके हैं. शहीद के स्मारक पर हर साल माला चढ़ाने वाले मुखिया, जिला परिषद सदस्य, विधायक और सांसद भी दर्जनों बार उस सड़क के जीर्णोद्धार के लिए आश्वासन का पुल बांध चुके हैं, लेकिन इस पर अबतक कोई पहल नहीं हो सकी है. आज भी देश के लिए शहीद होने वाले के घर तक जाने वाली सड़क अपनी स्थिति पर आंसू बहा रही है. ग्रामीणों ने बताया कि अहरा टोला में जाने के लिए ग्रामीण सड़क का लगभग 20 साल पूर्व निर्माण कराया गया था. उसके बाद लगभग आधा किलोमीटर सड़क के निर्माण को लेकर न तो स्थानीय मुखिया इस पर पहल कर रहे हैं और न ही स्थानीय विधायक की नजर उस सड़क पर पहुंच रही है. स्थानीय सरपंच पुत्र संजीत सहनी ने बताया कि शहीद की पोती की शादी में बारात जाने के लिए जर्जर सड़क पर मिट्टी डलवाकर मरम्मत करायी जा रही है.

बरसात के दिनों में होती है सबसे अधिक परेशानी

स्थानीय धनेश मिश्रा, देव कुमार सहनी, शेखर सहनी, राम विलास सहनी आदि ने बताया कि बरसात के दिनों में अहरा टोला में लोग पैदल ही जा सकते है. इमरजेंसी स्थिति में लोग मरीज को खाट पर लेकर मुख्य मार्ग तक जाते है. बताया गया कि वर्ष 2014 में यहां से पहली बार उजियारपुर से सांसद बने नित्यानंद राय ने शहीद के पुत्र पूर्व सैनिक सुरेंद्र साहनी को आश्वासन दिया था कि शहीद के घर तक पक्की सड़क का निर्माण कराने के साथ ही उनकी स्मृति में एक लाइब्रेरी बनायी जायेगी, लेकिन 10 वर्षों से अधिक समय बीतने के बाद भी सांसद के वादे जुमला बनकर ही रह गये. ग्रामीणों बताया कि स्थानीय मुखिया शीला देवी, जिला परिषद सदस्य रीना कुमारी एवं विधायक लखेंद्र पासवान ने भी बीते साल सड़क निर्माण कराने का आश्वासन दिया था.

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