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hajipur news. अधिक तापमान से आम में बढ़ रहा डंठल छेदक का प्रकोप, कीटनाशक का नहीं हो रहा असर

आंधी ने भी आम व लीची उत्पादक किसानों की नींद उड़ा दी है, जिले में आम उत्पादन में पातेपुर का सुक्की गांव प्रथम स्थान पर

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हाजीपुर. इस वर्ष आम की फसल अच्छी आने से आम उत्पादक किसानों एवं व्यापारियों के चेहरे पर रौनक देखी जा रही है, लेकिन किसानों एवं व्यापारियों को आम के टिकोले बचाने में पसीना छूट रहा है. आम के फसल में मधुआ रोग एवं डंठल छेदक कीट के प्रकोप के कारण काफी मात्रा में टिकोले गिर रहे है. इससे किसानों को फसल बचाने की चिंता भी सता रही है. इसके साथ ही जिले में पिछले कई दिनों से मौसम की बेरुखी तथा आंधी ने भी आम एवं लीची उत्पादक किसानों की नींद उड़ा दी है. हालांकि, आम उत्पादक किसान कीटनाशक दवाओं का लगातार छिड़काव कर टिकोले बचाने में जुटे है. इससे उनपर अधिक खर्च का दवाब बढ़ रहा है. इसके साथ ही आम के फसल को हजारों की संख्या में नीलगाय एवं घोड़परास भी काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं. इससे किसानाें के लिए आम की फसल बचाना काफी चुनौतीपूर्ण है. इस संबंध में जिला पौधा संरक्षण पदाधिकारी अजीत कुमार शरण ने बताया कि समय से पूर्व अधिक तापमान बढ़ने एवं तेज धूप के कारण आम के टिकोले के डंठल के पास एक विशेष प्रकार के कीट का प्रकोप बढ़ रहा है. इससे आम के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है. हालांकि इसके लिए समय-समय पर आम उत्पादक किसानों तथा व्यापारियों को फसल में लगने वाली कीट-व्याधी से बचाव को लेकर जानकारी दी जाती है. बताया गया कि इस वर्ष साल के शुरुआत से ही अधिक गर्मी के कारण आम के पेड़ों पर पर्याप्त मंजर लगे थे. आम के टिकोले भी काफी लगे है, लेकिन अधिक गर्मी के कारण कीट का प्रकोप किसानों की परेशानी बढ़ा रहे है. इससे बचाव का एक मात्र उपाय किसी भी प्रकार का कीटनाशक का नियमित अंतराल पर छिड़काव है.

बारिश के बाद मधुआ कीट का प्रकोप कम होने की संभावना

आम उत्पादक किसान हरे राम सिंह, संतोष राय, व्यापारी राम बहादुर सिंह, विनय सिंह आदि ने बताया कि इस साल आम का फसल काफी अच्छा आया था. किसानों एवं व्यापारियों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद थी, लेकिन मौसम की प्रतिकूल स्थिति के कारण आम का फसल बचाना काफी मुश्किल हो रहा है. पहले तो भीषण गर्मी के कारण आम के दाने झर गए है. बचे टिकोले भी तेज आंधी के कारण गिर कर बर्बाद हो रहे है. मधुआ कीट का अधिक प्रकोप के कारण किसानों एवं व्यापारियों को दवा का लगातार छिड़काव करना पड़ रहा है. कीटनाशक दवाओं के छिड़काव का भी असर नहीं पड़ रहा है. इससे परेशानी काफी बढ़ गयी है. हालांकि बारिश होने के बाद मधुआ एवं अन्य कीट का प्रकोप कम होने की संभावना है.

जिले के कई प्रखंडों में होता है वृहद पैमाने पर आम का उत्पादन

जिला पौधा संरक्षण पदाधिकारी ने बताया कि जिले के पातेपुर, महुआ, पटेढ़ी बेलसर, लालगंज, जंदाहा समेत विभिन्न प्रखंडों में वृहत पैमाने पर आम के बगीचे है. इन प्रखंडों में आम का पैदावार काफी होता है. बताया गया कि जिले में आम उत्पादन के लिए पातेपुर का सुक्की गांव प्रथम स्थान पर है. सुक्की समेत आसपास के गांव के लोगों के आय का मुख्य श्रोत ही आम का बगीचा है. उन क्षेत्रों में आम उत्पादक किसानों को समय समय पर कीट के प्रकोप से बचाव की जानकारी के लिए कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है. बताया गया कि टिकोले के बचाव के लिए किसानों को नियमित तौर पर प्लानोफिक्स नामक कीटनाशक दवा का तीन से चार लीटर पानी में प्रति एक एमएल की मात्रा का छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही अच्छी किस्म के पोषक टॉनिक का छिड़काव भी जरूरी है.

छोटे पेड़ को नीलगाय व घोड़परास पहुंचा रहे नुकसान

किसानों ने बताया कि आम का टिकोला लगने के बाद क्षेत्र में हजारों की संख्या में नीलगाय व घोड़परास आम के छोटे पेड़ को काफी नुकसान पहुंचा रहे है. इस सीजन में नीलगायों को खाने के लिए हरा चारा व फसल नहीं रहने के कारण सभी आम के बगीचे में भी अपना डेरा जमा देते है. छोटे पेड़ में लगे टिकोले समेत आम की नयी कोपल भी खा जाते हैं, इससे फसल बर्बाद होने के साथ ही उत्पादन पर भी काफी असर पड़ रहा है. इसके लिए किसानों को रात में बगीचे की रखवाली करना काफी मुश्किल हो रहा है. किसानों ने जिला प्रशासन से नीलगाय एवं घोड़रास से निजात दिलाने की मांग की है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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