हाजीपुर. साइबर थाने की पुलिस के हत्थे चढ़ा साइबर फ्रॉड मात्र चौथी पास है. यह साइबर फ्रॉड अबतक दर्जनों लोगों को लाखों रुपये का चूना लगा चुका है. उसके विरुद्ध वैशाली, समस्तीपुर व मुजफ्फरपुर जिले में 16 मामले दर्ज हैं. इनमें से 12 मामले सिर्फ वैशाली जिले में दर्ज हैं. चौथी पास साइबर फ्रॉड रंजीत कुमार महुआ थाने के कन्हौली विशनपरसी गांव निवासी सुखारी सिंह का पुत्र है. रंजीत कभी सऊदी अरब में काम करता था, लेकिन कोरोना काल में लाॅकडाउन के बाद वह वापस अपने घर लौट आया था. सऊदी अरब से वापस लौटने के बाद उसके दिमाग में साइबर ठगी का आइडिया आया. इसके बाद उसने घूम-घूम लोगों से ठगी शुरू कर दी. यह जानकारी शनिवार को साइबर डीएसपी चांदनी कुमारी ने मीडिया को दी. साइबर डीएसपी ने बताया कि रंजीत का पूर्व में आपराधिक इतिहास रहा है और वह जेल भी जा चुका है. वह अक्सर लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल कर उनके साथ ठगी करता था. ठगी करने से पहले वह डाटा कलेक्ट किया करता और उसके बाद मां, तो कभी बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने के नाम पर लोगों से ठगी करता था. वह ज्यादातर दुकानदार, ईंट भट्ठा संचालक, सीमेंट, गिट्टी, छड़ दुकानदार व सीएसपी संचालकों से ठगी करता था. नगर थाना क्षेत्र में लड़की पक्ष के लोगों से लड़का पक्ष के नाम पर भी वह ठगी कर चुका है. उसने 18-20 बार में लोगों से 10 हजार रुपये से लेकर 90 हजार रुपये तक की ठगी की है. पुलिस के अनुसार वह अबतक 12 से 15 लाख रुपये का फ्रॉड कर चुका है.
हमेशा दूसरे के अकाउंट पर मंगाता था पैसा
साइबर डीएसपी ने बताया कि नौ अप्रैल, 2024 को बिदुपुर थाने के हरपुर गोपाल निवासी नितेश राज ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज करायी थी कि एक अंजान नंबर से उसे कॉल करने वाले खुद को बगल का मुखिया जी बताया और यह कहकर 85 हजार रुपये ट्रांसफर करा लिया कि उसे अपने पिता को अस्पताल में भर्ती कराना है. साथ ही उसने पीड़ित के पास नकद रुपये भिजवाने का झांसा भी दिया. बाद में ठगी का अहसास होने पर पीड़ित ने इसकी शिकायत साइबर पुलिस से की. जांच के दौरान पता चला कि जिस खाते में पैसा गया था, वह देसरी के एक सुधा केंद्र सीएसपी का था. उस अकाउंट को फ्रीज कराया गया. अगले दिन खाता फ्रीज होने की जानकारी पर सीएसपी संचालक यहां आया. उसने बताया कि एक व्यक्ति ने अपनी मां की बीमारी का हवाला देकर उसके अकाउंट पर रुपये ट्रांसफर कराने के बाद उससे नकद रुपये ले लिया था.
साइबर ठगी के पैटर्न से पकड़ा गया फ्रॉड
साइबर ठगी के शिकार बिदुपुर के युवक व देसरी के सीएसपी संचालक के मामले की जांच के दौरान साइबर थाने की पुलिस को साइबर फ्रॉड के एक खास पैटर्न का पता चला. जिस नंबर से रुपये की मांग की जाती थी, उस नंबर के विरुद्ध एनसीआरपी पोर्टल पर 16 शिकायतें दर्ज थीं. जांच में पुलिस को पता चला कि जिस नंबर से ठगी की जा रही है, वह फर्जी नाम से है. साथ ही, यह भी पता चला कि साइबर ठग हमेशा सीएसपी या किसी मोबाइल दुकानदार के अकाउंट पर पैसा मंगाता था. टेक्निकल जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जिस मोबाइल से बात की जा रही है, उसमें कभी साइबर फ्रॉड के नाम से सिम का उपयोग हुआ था. इसके बाद पुलिस उसके गांव पहुंची. वहां पूछताछ के दौरान उसके आपराधिक प्रवृति व गांव में ठगी करने तथा पूर्व में जेल जाने की जानकारी मिली.
किराये पर कमरा लेकर रहता था, पुलिस को दे चुका था चकमा
साइबर फ्रॉड हाजीपुर शहर में किराये पर कमरा लेकर रहता था. वह वर्ष 2020 से ही साइबर ठगी कर रहा था. वह काफी हाई-फाई में रहा करता था. एक बार पुलिस ने उसके किराये के कमरे पर छापेमारी भी की थी, लेकिन वह पुलिस को चकमा देकर भाग निकला था. बीते शुक्रवार को साइबर पुलिस ने कन्हौली विशनपरसी स्थित उसके घर के पीछे एक बगान से साइबर फ्रॉड को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के अनुसार पकड़ा गया साइबर फ्रॉड अकेले ही घूम-घूम कर साइबर ठगी करता था.
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