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बिहार में हरियाली अब भी राष्ट्रीय औसत से 17 फीसदी कम, 10 वर्षों में 5 फीसदी बढ़ा वन क्षेत्र

नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले बिहार में हरियाली परत नौ फीसदी थी. अब यह 16 फीसदी हो गयी है. हालांकि, राष्ट्रीय औसत 33 फीसदी है. इस राष्ट्रीय औसत के करीब बिहार को पहुंचाना है. उम्मीद है कि हम बहुत जल्द उस लक्ष्य को पा लेंगे.

पटना. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले बिहार में हरियाली परत नौ फीसदी थी. अब यह 16 फीसदी हो गयी है. हालांकि, राष्ट्रीय औसत 33 फीसदी है. इस राष्ट्रीय औसत के करीब बिहार को पहुंचाना है. ग्रामीण विकास विभाग की ओर से ज्ञान भवन में जल-जीवन-हरियाली दिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि मौसम के बदलते मिजाज के कुप्रभाव को कम करने के लिए हरियाली परत बढ़ानी होगी.

बिहार में हुआ 15 करोड़ 55 लाख पौधरोपण

मंत्री ने बताया कि बिहार में 15 करोड़ 55 लाख पौधरोपण किया जा चुका है. तालाब, आहर और पाइन अतिक्रमणमुक्त हुए. इससे विस्थापित 1735 परिवार को आवास दिये गये. इससे पूर्व पौधों में पानी देकर कार्यक्रम की शुरूआत की गयी. इस दौरान जीविका दीदियों और लाभुकों ने अपने अनुभव साझा किये. इस दौरान इस अभियान में जुटे 15 विभागों ने काम की जानकारी दी. विभिन्न विभागों की ओर से प्रदर्शनी भी लगायी गयी.

बिहार को मिला सम्मान

पिछले माह ही बिहार सरकार को उसके “जल-जीवन हरियाली” अभियान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है. दुबई में 28वां जलवायु शिखर सम्मेलन में बिहार ने अपने क्षेत्र में जंगल बढ़ाने के लिए खूब वाह-वाही बटोरी है. बिहार में साल 2019-21 के बीच फॉरेस्ट लैंड 9.9 प्रतिशत से बढ़कर 14.75 प्रतिशत हो गया था, जो इस वर्ष बढ़कर 16 फीसदी हो गयी है.

जलवायु संकट प्रबंधन में एक रोल मॉडल बना बिहार

बिहार की वन एवं पर्यावरण विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने इस संबंध में बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में, बिहार वनीकरण के माध्यम से जलवायु संकट प्रबंधन में एक रोल मॉडल के रूप में उभरा है. 2012-13 में हरियाली मिशन के शुभारंभ के बाद से कुल 381.008 मिलियन नए पौधे लगाकर राज्य का जंगल एरिया 2019 में 9.9 प्रतिशत हो गया था. 2019-21 में ये आंकड़ा बढ़कर 14.75 प्रतिशत हो गया.

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वन क्षेत्र के विस्तार के लिए लगातार हो रहा काम

सचिव वंदना प्रेयसी ने कहा कि बिहार में वन क्षेत्र के विस्तार के लिए लगातार काम हो रहा है. पिछले 10 वर्षों में इसके संतोषजनक परिणाम सामने आये हैं. वित्तीय वर्ष 2020-21 से बिहार में ग्रीन बजट के कार्यों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बिहार देश के उन पहले राज्यों में से एक है, जिसने पर्यावरण के लिए हरित बजट पेश किया है. इस बजट का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने और जैव विविधता की रक्षा करना है.

एक डिग्री तापमान बढ़ने पर 10% पानी की खपत बढ़ती है

ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ सरवन कुमार ने कहा कि बिहार में बाढ़ व सुखाड़ लगातार होता है. इससे एक हजार करोड़ तक का मुआवजा देना पड़ता है. एक डिग्री तापमान अधिक बढ़ने पर दस फीसदी पानी की खपत बढ़ जाती है. जीविका के सीइओ व जल-जीवन-हरियाली मिशन के निदेशक राहुल कुमार ने कहा कि इस अभियान की चर्चा व प्रशंसा इजिप्त व दुबई में हुए कॉप सम्मेलन में हुई. राष्ट्रीय स्तर पर पर चौथा नेशनल वाटर पुरस्कार बिहार को मिला.

Prabhat Khabar Digital Desk
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