बरौली. बुधवार को प्रखंड के रामस्वरूप सिंह प्रोजेक्ट बालिका उमावि के प्रांगण में लिट्टी-चोखा तथा घी की सोंधी सी खुशबू आ रही थी. यह खुशबू स्कूल के शिक्षक तथा वहां से गुजरते ग्रामीणों को भी ललचा रही थी. यहां गृहविज्ञान की शिक्षिका संगीता दुबे अर्चना के निर्देशन में इंटर द्वितीय वर्ष की छात्राओं द्वारा स्कूल में पाक कला का बेहतरीन नमूना पेश करते हुए पौष्टिक तथा बिहार के प्रसिद्ध लिट्टी और चोखा बनाने का कार्यक्रम हो रहा था, जो उनकी परीक्षा में शामिल था. सुबह से ही अपने घर से आटा, चने का सत्तू, गाय का शुद्ध देशी घी आदि लेकर पहुंची थी तो कुछ छात्राएं अपने-अपने घर से गोइठा भी लेकर आयी थी. सारी तैयारियों के बाद गाेइठा पर लिट्टी पकायी गयी तथा सभी शिक्षकों को बैगन, आलू, लहसुन, धनिया पता के आदि से परोसा गया, तो वे वाह-वाह कर उठे. वहीं गृहविज्ञान की शिक्षिका संगीता दुबे अर्चना ने बताया कि लिट्टी -चोखा हमारे बिहार की पहचान है जो विदेशों तक है. लिट्टी में चने का सत्तू भरा जाता है जिसमें प्रोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो मांसपेशियों के निर्माण और पाचन के लिए फायदेमंद है. यह आयरन और कैल्शियम जैसे खनिजों का भी अच्छा स्रोत है. लिट्टी का बाहरी आवरण गेहूं के आटे से बनता है, जो कार्बोहाइड्रेट और फाइबर प्रदान करता है. घी या सरसों के तेल से ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन डी जैसे फैट मिलते हैं, जो हृदय के लिए फायदेमंद होते हैं. इसके अलावा चोखा जो कई सब्जियों से बनती है, उनमें से बैंगन, टमाटर और लहसुन में विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. हरी मिर्च, धनिया और लहसुन जैसे मसाले विटामिन ए, विटामिन सी और जीवाणुरोधी गुण जोड़ते हैं. कुल मिलाकरलिट्टी चोखा एक संतुलित और पौष्टिक भोजन है. लिट्टी-चोखा बनाने में सपना कुमारी, प्रियम कुमारी, स्नेहा कुमारी, काजल कुमारी, ज्योति कुमारी, निशु कुमारी, मोनिका कुमारी सहित दर्जनों छात्रायें शामिल रही.
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