भोरे. सिसई उत्तर टोला स्थित नवनिर्मित हनुमान मंदिर परिसर में चल रहे नौ दिवसीय रुद्र महायज्ञ में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. वहीं श्रीरामचरितमानस कथा के चौथे दिन कथावाचक काशी से आये अंतरराष्ट्रीय कथावाचक डॉ पुंडरीक जी महाराज ने भगवान श्रीराम की बाल लीलाओं तथा विश्वामित्र यज्ञ की रक्षा के प्रसंग को विस्तार से प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम ने महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा कर धर्म की पुनर्स्थापना की. यज्ञ केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है. यह श्रेष्ठ कर्म, अनुशासन, सहयोग और आत्मसमर्पण की जीवंत प्रेरणा है. समाज का संगठन और नागरिकता का विकास यज्ञीय जीवनशैली में निहित है. पुंडरीक जी महाराज ने बताया कि भगवान श्रीराम द्वारा ताड़का वध केवल राक्षसी का अंत नहीं, बल्कि अविद्या, विकार और दुर्गुणों के प्रतीक का विनाश है. उन्होंने कहा कि “भगवान उद्धार करते हैं, संत सुधार करते हैं. ” ताड़का रूपी अविद्या जब तक मन में है, तब तक भक्ति पथ अवरुद्ध रहता है. कथावाचक ने श्रीराम के जन्म की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए बताया कि रामकथा स्वयं यज्ञमय है. उनका जन्म श्रेष्ठ यज्ञ के फलस्वरूप हुआ और आगे का समस्त जीवन धर्म और यज्ञ की रक्षा के लिए समर्पित रहा.
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