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Gopalganj News : सुप्रीम कोर्ट ने राजेंद्र नगर बस स्टैंड की फर्जी जमाबंदी में नप को दिया पक्ष रखने का मौका

Gopalganj News : शहर के राजेंद्र बस स्टैंड की अरबों की जमीन का फर्जीवाड़ा कर जमाबंदी करने के मामले में नगर परिषद भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.

गोपालगंज. शहर के राजेंद्र बस स्टैंड की अरबों की जमीन का फर्जीवाड़ा कर जमाबंदी करने के मामले में नगर परिषद भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. निलंबित सीओ गुलाम सरवर की अग्रिम जमानत के बिंदू पर न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति अंगेस्टाइन जॉर्ज मसीह के खंडपीठ ने नगर परिषद को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया है.

23 को अग्रिम जमानत पर होनी है सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में अब 23 सितंबर को अग्रिम जमानत पर सुनवाई होनी है. इसके पूर्व 30 जुलाई को सीओ गुलाम सरवर की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगाते हुए सीओ को आदेश दिया कि वे कांड के अनुसंधान में सहयोग करें. साथ ही अपना पक्ष रखने के लिए बिहार सरकार को नोटिस जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट में नगर परिषद, जो कांड का सूचक है, को पार्टी नहीं बनाया गया था.

नगर परिषद ने पक्ष रखने के लिए मांगी थी अनुमति

गुरुवार को नगर परिषद की ओर से वरीय अधिवक्ता राजेश रंजन व कुमार अवनीश ने पीठ के समक्ष नगर परिषद की ओर से पक्ष रखने की अनुमति मांगी. कोर्ट को बताया कि बस स्टैंड की सरकारी जमीन का जमाबंदी से जुड़ा मामला है. इस पर कोर्ट ने अगली तिथि 23 सितंबर को मुकर्रर करते हुए नगर परिषद को अपना पक्ष रखने की मंजूरी दे दी. सुप्रीम कोर्ट में सीओ गुलाम सरवर की अग्रिम जमानत की याचिका पर वरीय अधिवक्ता शोएब आलम, सुयश व्यास व अन्य ने अपनी दलीलों को रखा.

हाइकोर्ट ने भी नौ जुलाई को खारिज की थी जमानत अर्जी

राजेंद्र बस स्टैंड की जमीन का फर्जीवाड़ा कर जमाबंदी करने वाले निलंबित सीओ गयाजी जिले के गुरारू थाना क्षेत्र के मोहवरा गांव के रहने वाले मो गुलाम सरवर व भोरे थाना क्षेत्र के अमही मिश्र गांव के स्व नथुनी मिश्र के पुत्र दिनेश चंद्र मिश्र राजस्व कर्मचारी की अग्रिम जमानत याचिका को पटना हाइकोर्ट ने नौ जुलाई को रद्द कर दिया था. न्यायमूर्ति राजेश कुमार वर्मा के एकल पीठ ने दो दिनों की सुनवाई के बाद सीओ व राजस्व कर्मचारी के अपराध को देखते हुए अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि आपने ऐसा गंभीर अपराध किया है कि आपको जमानत देना उचित नहीं है.

नगर परिषद का बस स्टैंड पर दावा

नगर परिषद के अधिवक्ता वेद प्रकाश तिवारी ने बताया कि राजेंद्र बस स्टैंड सरकारी है. आजादी के पूर्व से ही उस जमीन पर मैटरनेटी सेंटर का संचालन हो रहा था. बिहार सरकार द्वारा एक बिगहा, 11 कट्ठा 11 घुर की जमीन को अधिग्रहित कर नगर परिषद को दिया गया था. बाकी जमीन को सरकार ने अधिग्रहित किया था. सरकारी जमीन, जिसकी रक्षा की जिम्मेदारी इनके हाथों में थी, इन लोगों ने लोभ व प्रभाव में आकर सरकारी जमीन की जमाबंदी कर दी. इसी दलील पर एडीजे 16- शेफाली नारायण के कोर्ट ने 20 नवंबर 2024 को अर्जी को खारिज कर दिया था.

प्रभात खबर के खुलासे के बाद दर्ज हुआ था कांड

राजेंद्र नगर बस स्टैंड की जमीन की जमाबंदी भू-माफियाओं के नाम पर दर्ज किये जाने का खुलासा प्रभात खबर ने 10 सितंबर 2024 के अंक में किया था. डीएम के आदेश पर एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार ने जांच की. जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद डीएम के आदेश पर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे ने नगर थाने में 18 सितंबर को सीओ गुलाम सरवर, राजस्व कर्मचारी दिनेश चंद्र मिश्र, सीआइ जटाशंकर प्रसाद व अजय दुबे के खिलाफ नगर थाना कांड सं-673/24 दर्ज करा दिया था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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