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Gopalganj News : शहरवासियों ने स्वच्छता में अपने शहर को दिये 10 में महज चार अंक

Gopalganj News : अपने शहर की स्वच्छता का सर्वेक्षण के लिए नेशनल टीम दो दिनाें से गोपालगंज में परख रही है. स्वच्छता रैंकिंग के लिए आयी टीम क्या रैंकिंग देगी, यह तो बाद की बात है. शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम ने शहर में रहने वालों लोगों से शहर की सफाई, स्वच्छता पर जानकारी ली, तो लोगों में शहर की दुर्दशा पर नाराजगी जतायी.

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गोपालगंज. अपने शहर की स्वच्छता का सर्वेक्षण के लिए नेशनल टीम दो दिनाें से गोपालगंज में परख रही है. स्वच्छता रैंकिंग के लिए आयी टीम क्या रैंकिंग देगी, यह तो बाद की बात है. शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम ने शहर में रहने वालों लोगों से शहर की सफाई, स्वच्छता पर जानकारी ली, तो लोगों में शहर की दुर्दशा पर नाराजगी जतायी. शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर, गंदगी व सार्वजनिक शौचालय और अव्यवस्थित सफाई व्यवस्था सामने आयी. डस्टबिन कचरे से भरे पड़े हैं, उठाव समय पर नहीं हो रहा. सामुदायिक शौचालयों की हालत खराब है, महिलाओं और दिव्यांगों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. सिंगल यूज प्लास्टिक पर कोई रोक नहीं, खुलेआम पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है.

कचरे का उठाव नहीं होने से पसरी है गंदगी

कुछ जगहों में डस्टबिन तो रखे हैं लेकिन छोटे हैं. डस्टबिन की चारों ओर कचरा उठाव न होने से गंदगी पसरी हुई है, जिससे लोग डस्टबिन का भी उपयोग नहीं करते हैं. कहीं कचरा जलता हुआ मिला, तो रिहायशी इलाके में कचरों से उठती दुर्गंध लोगों को बेचैन कर रही थी. और तो और नगर परिषद ऑफिस के पीछे ही कचरा जमा मिला. वहीं काली स्थान रोड़ में कचरों में सूअर जमे मिले. लोगों से पूछने कहा कि स्वच्छता में शहर को 10 में से चार अंक लायक भी नहीं है. यहां कोई फैक्ट्री नहीं है. इसके बाद भी नवंबर से फरवरी तक एक्यूआइ 250 से 370 तक रहा.

नालियों की सफाई एक साथ नहीं होती

नालियों में पॉलीथिन, थर्मोकोल के कारण जाम रहती है. नगर परिषद की ओर से नालों की सफाई के लिए एक नाले को एक साथ नहीं होने से भी पानी ओवरफ्लो कर सड़क पर बहता है. जैसे जनता सिनेमा रोड में कुछ दूर तक नाला से कचरे को निकाल कर रोड पर रख दिया, तो घोष मोड़ पर नाले का कचरा निकाल कर सड़क पर छोड़ दिया गया. एक साथ एक रोड के नाले की सफाई नहीं होती, जिससे नालियां जल्दी बजबजाने लगती हैं.

शहर की सफाई में प्रतिमाह 20 लाख का खर्च

शहर की सफाई में नगर परिषद हर माह 20 लाख से अधिक की राशि खर्च करता है. इस 20 लाख में वाहनों के तेल, मजदूरों व वाहन चालकों का वेतन भुगतान भी तो शामिल है. इसके बाद भी अपना शहर प्रदूषित बना रहता है.

सड़क पर छोड़ा गया कचरा धूल बनकर हवा में फैल रहा

नालियों का कचरा को निकाल कर सड़क पर छोड़ दिया जाता है. जो वाहनों के चक्के से रौंद कर धूल बनकर हवा में फैल जाती है. नतीजा है कि अपने शहर में लोगों को प्रदूषण का शिकार बनना पड़ रहा है. नालियों से कचरा निकलने के साथ ही कचरे को ठिकाना लगा देने का प्रावधान भी है. इसके बाद भी नगर परिषद में सफाई का सिस्टम बेहतर नहीं हो पा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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