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Gopalganj News : किसानों की बढ़ी टेंशन, बढ़ते तापमान का गेहूं की फसल पर पड़ रहा प्रतिकूल असर

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Gopalganj News : कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों का टेंशन बढ़ गया है. क्लाइमेट के चेंज होने का सीधा असर खेती पर भी पड़ा है. नवंबर से फरवरी तक दो एमएम तक भी बारिश नहीं हुई है. मौसम के घटते-बढ़ते तापमान. कभी बादलों की आवाजाही.

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गोपालगंज. कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों का टेंशन बढ़ गया है. क्लाइमेट के चेंज होने का सीधा असर खेती पर भी पड़ा है. नवंबर से फरवरी तक दो एमएम तक भी बारिश नहीं हुई है. मौसम के घटते-बढ़ते तापमान. कभी बादलों की आवाजाही. कभी पछुआ हवा के जोर पकड़ने और तापमान के सामान्य से अधिक होने का असर रबी सीजन की फसलों पर पड़ने लगा है. इससे गेहूं के पौधों की लंबाई कम रहेगी. दाने भी हल्के और छोटे हो सकते हैं.

उत्पादन पर पड़ेगा असर

तापमान में हुए बदलाव ने उन किसानों की चिंता अधिक बढ़ा दी है, जिन्होंने दिसंबर में बोआई की है. अगले सप्ताह तक तापमान ऐसा ही रहा, तो उत्पादन पर असर पड़ेगा. सिपाया कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ड. रविकांत कुमार ने बताया कि गेहूं के लिए रात के समय ओस और दिन के समय चमकदार धूप सबसे अनुकूल मौसम होता है. लेकिन इस बार गेहूं को चमकदार धूप तो मिल रही है, लेकिन रात में ओस का मिलना लगभग बंद हो गया है. गेहूं को कई चरणों में अलग-अलग तापमान की आवश्यकता होती है. मार्च व अप्रैल में तापमान बढ़ जाता है, लेकिन अब इस बार फरवरी में ही मार्च जैसा तापमान होने से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि गेहूं के लिए अधिकतम तापमान 24 और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.

न्यूनतम तापमान 14 डिग्री तक पहुंचा

जनवरी और फरवरी माह में छह बार अधिकतम पारा 26 से 28 डिग्री तक पहुंच गया. वहीं न्यूनतम तापमान 14 डिग्री से नीचे नहीं हो रहा है. गेहूं को कम और स्थिर तापमान की आवश्यकता होती है. इस बार तापमान बढ़ गया. इससे गेहूं की फसल पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.

आलू को लग रहा झुलसा रोग

सरसों की फसलों के लिए बादलों की आवाजाही से लाही लग रही है. सरसों की फसल के लिए जिन किसानों ने समय पर उपाय नहीं किये. वह लाही का शिकार हो रहे हैं. इसी तरह से आलू में भी तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने से झुलसा रोग लगने लगा है.

किसान यह करें उपाय : डीएओ

गेहूं के खेतों में नमी बनाये रखने के लिए 15-20 दिनों के अंतर पर सिंचाई करते रहें. तापमान की जानकारी लेते रहें. तेज हवा के दौरान सिंचाई नहीं करें, अन्यथा फसल गिर सकती है. जिला कृषि पदाधिकारी सुमन ने बताया कि गेहूं की अधिक सिंचाई नहीं करें. इससे फसल गिरने की आशंका बढ़ जाती हैं. 15 से 20 दिनों में एक बार ही सिंचाई करें. जिन किसानों ने देरी से फसल की बोआई की है, उनकी फसल प्रभावित होने की संभावना है.

बढ़ते तापमान से गेहूं की फसल पर पड़ने वाले असर

– गेहूं की बढ़वार रुक जाती है.

– फसल की लंबाई कम हो जाती है.

– गेहूं जल्दी पक जाता है.

– गेहूं में बालियां लगने के बाद दाना भरने के लिए समय नहीं मिल पाता.

– दानों को मजबूती नहीं मिल पाती. दाने सिकुड़ जाते हैं.

– दानों का वज़न घट जाता है.

– दानों की संख्या कम हो जाती है.

गेहूं की फसल के लिए उपयुक्त तापमान

गेहूं की फसल के लिए बेहतर पैदावार के लिए अधिकतम तापमान 25 डिग्री से 30 डिग्री के बीच और न्यूनतम तापमान 11 से 12 डिग्री अनुकूल है.

फसल को बचाने के उपाय

जब गेहूं में कल्ले (नये तने) आने लगें, तो किसान 2% पोटैशियम नाइट्रेट (13:0:45) का छिड़काव कर सकते हैं.

तापमान बढ़ने पर खेतों में निरंतर नमी बनाये रखना चाहिए.

फसल को स्प्रिंक्लर से पानी देना चाहिए

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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