गोपालगंज. शहर के राजेंद्र बस स्टैंड की अरबों की जमीन की फर्जीवाड़ा कर जमाबंदी करने वाले निलंबित सीओ गुलाम सरवर और बर्खास्त राजस्व कर्मचारी दिनेश चंद्र सुमन की अग्रिम जमानत याचिका को पटना हाइकोर्ट ने बुधवार को रद्द कर दिया. न्यायमूर्ति राजेश कुमार वर्मा की एकल पीठ ने दो दिनों की सुनवाई के बाद सीओ व राजस्वकर्मी के अपराध को देखते हुए अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया. कोर्ट ने कहा आपने ऐसा गंभीर अपराध किया, आपको जमानत देना उचित नहीं है. कोर्ट को नगर परिषद की तरफ से वरीय अधिवक्ता राजेश रंजन ने बताया कि राजेंद्र बस स्टैंड सरकारी है. आजादी के पूर्व से ही उस जमीन पर मेंटेरेटी सेंटर का संचालन हो रहा था. बिहार सरकार द्वारा एक बिगहा, 11 कट्ठा 11 धुरकी जमीन को अधिगृहीत कर नगर परिषद को दिया गया था. बाकी जमीन को सरकार ने अधिगृहीत की थी. सरकारी जमीन जिसकी रक्षा की जिम्मेदारी इनके हाथों में थी, इन लोगों ने लोभ व प्रभाव में आकर जमाबंदी कर दी. इधर, निलंबित सीओ गुलाम सरवर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वाइवी गिरि व दिनेश चंद्र मिश्र की ओर से वरीय अधिवक्ता अंशुल ने अपना पक्ष रखते हुए निर्दोष बताया व अग्रिम जमानत की अपील की. मंगलवार व बुधवार को सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया, जिससे अब इनकी मुश्किलें बढृ गयी हैं. हालांकि पिछले छह माह से हाइकोर्ट की ओर से इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगी हुई थी.
प्रभात खबर के खुलासे के बाद दर्ज हुआ था नगर थाने में कांड
राजेंद्र नगर बस स्टैंड की जमीन की फर्जी जमाबंदी भू-माफियाओं के नाम पर दर्ज किये जाने का खुलासा प्रभात खबर ने 10 सितंबर के अंक में किया था. डीएम के आदेश पर एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार ने जांच की. जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद डीएम के आदेश पर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे ने नगर थाने में 18 सितंबर को सीओ मो गुलाम सरवार, राजस्व कर्मचारी दिनेश चंद्र मिश्र, सीआइ जटाशंकर प्रसाद व अजय दुबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी थी.
सिविल कोर्ट ने खारिज कर चुकी थी जमानत याचिका
फर्जी जमाबंदी मामले में मुख्य आरोपित गया जिले के गुरारू थाना क्षेत्र के मोहवरा गांव के रहने वाले सदर अंचल के सीओ मो गुलाम सरवर व भोरे थाना क्षेत्र के अमही मिश्र गांव के स्व नथुनी मिश्र के पुत्र राजस्व कर्मचारी दिनेश चंद्र मिश्र की ओर से जिला जज गुरुविंदर सिंह मलहोत्रा के कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की. जिला जज के कोर्ट ने उसे एडीजे 16- शेफाली नारायण के कोर्ट ने भेज दिया. लंबी सुनवाई के दौरान नगर परिषद के अधिवक्ता वेद प्रकाश तिवारी की दलीलों को सुनकर 20 नवंबर, 2024 को अर्जी को खारिज कर दिया था.
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