बिना मान्यता जांच से लेकर ऑपरेशन तक का करते हैं काम
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स्वास्थ्य मानकों को दरकिनार कर संचालित हो रहे क्लिनिक
बिना मान्यता जांच से लेकर ऑपरेशन तक का करते हैं काम बक्सर : जिले में नियमों को ताक पर रख कर इन दिनों धड़ल्ले से निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी सेंटरों का संचालन किया जा रहा है. शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में मुनाफा कमाने के उद्देश्य से इस तरह के नर्सिंग होम व क्लिनिक […]
बक्सर : जिले में नियमों को ताक पर रख कर इन दिनों धड़ल्ले से निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी सेंटरों का संचालन किया जा रहा है. शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में मुनाफा कमाने के उद्देश्य से इस तरह के नर्सिंग होम व क्लिनिक खोले जा रहे हैं. 19 मार्च को झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा इटाढ़ी में इलाज के दौरान नवजात बच्चे व महिला की जान ले ली गयी थी, यह चिंतनीय है.
यह एक बड़ा सवाल के साथ-साथ स्वास्थ्य महकमा और जिला प्रशासन के लिए भी प्रश्न चिह्र है. गौरतलब है कि निजी क्लिनिक या नर्सिंग होम या फिर पैथोलॉजी सेंटर खोलने के समय बड़े-बड़े दावे किये जाते हैं, लेकिन वास्तविक रूप से ये दावे कहीं नहीं दिखते. इलाज के क्रम में महिला व बच्चे की मौत का मामला इसका उदाहरण है. हालांकि क्लिनिकल स्टेबलिसमेंट एक्ट के तहत निजी नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, क्लिनिक खोलने के लिए कई प्रावधान किये गये हैं, लेकिन इसका अनुपालन जिले भर में नहीं हो रहा.
सुदूर गांव में भी खुल गये हैं नर्सिंग होम : जिले के डुमरांव, ब्रह्मपुर, इटाढ़ी, चौसा, चौगाईं, समेत सभी प्रखंडों के अलावा गांवों में भी धड़ल्ले से नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी खोले जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की मानें, तो क्लिनिकल स्टेबलिसमेंट एक्ट के तहत एक दर्जन स्वास्थ्य संस्थान को औपबंधिक निबंधन दिया गया है. हालांकि इससे अधिक निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक, पैथोलॉजी का संचालन जिले भर में हो रहा है. ऐसे स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना एक्ट के प्रावधान को भी ताक पर रखा जाता है. एक आंकड़ें के अनुसार जिले में करीब 300 निजी नर्सिंग होम संचालित हैं.
मरीजों का उपचार व जांच के नाम पर आर्थिक दोहन : अवैध तरीके से संचालित इन नर्सिंग होमों का पैसा कमाना ही मूल उद्देश्य है. दरअसल, निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी खोलने के पीछे मुख्य उद्देश्य आर्थिक लाभ कमाना ही होता है. जिले में अधिकांश ऐसे स्वास्थ्य केंद्र हैं, जो अपने कृपा पात्रों के द्वारा मरीजों व उनके परिजनों को बरगला कर उनका आर्थिक दोहन करते हैं. स्वास्थ्य सेवा से जुड़े जानकारों की मानें, तो मरीजों के उपचार के नाम पर कई स्तरों पर इनके द्वारा दोहन किया जाता है. खासकर विभिन्न तरह के जांच के नाम पर अत्यधिक आर्थिक दोहन किया जाता है.
नियम के अनुसार संसाधनों का अभाव : क्लिनिकल स्टेबलिसमेंट एक्ट में कई तरह के प्रावधान हैं. जिले के अधिकांश स्वास्थ्य संस्थान मानकों पर खरे नहीं उतरते.
एक्ट के तहत भी जिन संस्थानों को औपबंधिक निबंधन दिया गया है, उसमें से भी अधिकांश प्रावधान पूरे नहीं किये गये हैं. वैसे संस्थान रसूख व प्रभाव के बल पर निबंधन, तो प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन ऐसे संस्थानों के पास आधारभूत संरचना के अलावा कई बुनियादी चीजों का भी अभाव होता है. जिला पदाधिकारी रमण कुमार ने भी जिले में बिना क्लिनिल स्टेबलिसमेंट के तहत चल रहे स्वास्थ्य संस्थानों पर कार्रवाई कर सिविल सर्जन को प्रतिवेदन देने को कहा था.
अवैध संस्थानों पर होगी कार्रवाई
बक्सर जिले में कई संस्थानें हैं, जिनकी जांच की जानी है. गलत तरीके से संचालित स्वास्थ्य संस्थानों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए उन पर प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी.
डॉ ब्रजकिशोर सिंह, सिविल सर्जन
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