गायत्री पुराण महायज्ञ में देर रात तक बरस रहा अमृत रस
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राधा-कृष्ण का प्रेम अटूट : दिव्य सागर
गायत्री पुराण महायज्ञ में देर रात तक बरस रहा अमृत रस कुचायकोट : राधा-कृष्ण का प्रेम अटूट और निष्पाप था. आज के युवाओं को इस प्रेम से प्रेरणा लेने की जरूरत है. प्रेम शब्द को समाज के लोग दूषित बना रहे हैं. यूपी और बिहार की सीमा बथनाकुटी में आयोजित गायत्री पुराण महायज्ञ में हरिद्वार […]
कुचायकोट : राधा-कृष्ण का प्रेम अटूट और निष्पाप था. आज के युवाओं को इस प्रेम से प्रेरणा लेने की जरूरत है. प्रेम शब्द को समाज के लोग दूषित बना रहे हैं. यूपी और बिहार की सीमा बथनाकुटी में आयोजित गायत्री पुराण महायज्ञ में हरिद्वार से पहुंचे दिव्य शरण सागर महाराज ने श्री कृष्ण बार-बार गोपियों में जाकर बैठ जाते थे. इससे पटरानियां जल उठती थीं. एक दिन रुकमिणी ने कहा कि आखिर गोपियों में क्या है जो हम पटरानियों में नहीं है. कन्हैया मुस्कुरा कर चले गये. दो दिन बात कन्हैया के पेट में दर्द असहनीय हो गया. देश भर के वैद्य को बुलाया गया. वैद्य ने कन्हैया से पूछा. कन्हैया ने कहा, किसी भक्त के पैर के नाखून को धुल कर पिला दो. नारद जी दौड़ कर रुकमिणी के पास पहुंचे. कन्हैया के दर्द को ठीक करने के लिए नाखून धुल कर देने को कहा
रुकमिणी उनके दर्द से मर्माहत थी, लेकिन जैसे ही नाखून धुलने की बात आयी कि रुकमिणी ने कहा कि वे मेरे पति हैं, मैं पैर का नाखून कैसे धुल कर पिलाऊं. मुझे क्या नरक जाना है. बारी-बारी से नारद जी ने सभी पटरानियों से आग्रह किया. सबका यही जवाब था. बाद में गोपियों के बीच नारद जी पहुंचे. राधा से उन्होंने कन्हैया के पेट दर्द की बात कही. राधा ने कहा वैद्य को नहीं बुलाया गया. नारद जी पूरी घटना बताते हुए द्रवित हो उठे. राधा ने कहा, नारद जी आप से बड़ा भक्त कौन है? नारद ने कहा कि उनकी पटरानियों को नरक जाने का भय है तो मैं अपने भगवान को कैसे नाखून धुल कर पिलाऊं. राधा ने कहा, नारद जी जल ले आये. मेरे पैर के नाखून को धुल कर कन्हैया को पिला दो. कन्हैया का दर्द मैं बरदाश्त नहीं कर सकती. अगर सात जन्म भी कन्हैया के लिए नरक में भी रहना है, तो मुझे मंजूर है. वृंदावन से आये श्याम शास्त्री जी महाराज ने कण-कण में है भगवान पर चित्रण किये.
रात में मथुरा से वारसाना से आयी रासलिला को देख लोग भाव विहृवल हो रहे. यज्ञ में संत शिरोमणि, स्वामी विश्वंभर दासजी महाराज का अभिनंदन सोमवार को शिष्यों के द्वारा किया जायेगा. इस मौके पर कृष्ण देव पांडेय और मुन्ना पांडेय ने 24 घंटे परिक्रमा का संकल्प लिया है.
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