गंडक का कहर . बाढ़पीड़ितों के जख्म पर मरहम की दरकार, अभी भी फैला है कई गांवों में पानी
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दियारा इलाके में भूख से बिलख रहे बच्चे
गंडक का कहर . बाढ़पीड़ितों के जख्म पर मरहम की दरकार, अभी भी फैला है कई गांवों में पानी गंडक नदी की बाढ़ में पिछले आठ दिनों से जिले के 50 गांवों और टोलाें के लोग फंसे हुए हैं. इनके सामने रोटी का संकट है. राहत कैंप में बाढ़पीड़ित नहीं जा पा रहे हैं. गोपालगंज […]
गंडक नदी की बाढ़ में पिछले आठ दिनों से जिले के 50 गांवों और टोलाें के लोग फंसे हुए हैं. इनके सामने रोटी का संकट है. राहत कैंप में बाढ़पीड़ित नहीं जा पा रहे हैं.
गोपालगंज : आठ दिनों की बाढ़ की विभीषिका के बाद अब पीड़ितों की जान खतरे में है. छोटे-छोटे बच्चे भूख से तड़प रहे हैं. दियारे के लोगों की हालत देख रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं. अब इनके जख्म पर मरहम की दरकार है. अगर आप इनकी मदद कर सकते हैं, तो आगे आएं. आपका सहयोग इनको जीवनदान दे सकता है. सदर प्रखंड के मेहदिया गांव कटने के बाद लगभग 30 परिवार झील पर जाकर बस गये हैं. स्थिति यह है कि इस गांव के योगेंद्र यादव, मनोज यादव, झूलन यादव, जगत नारायण यादव समेत सभी परिवार छप्पर पर जीवन गुजार रहा है.
चारे के अभाव में मनोज यादव के दो पशुओं की मौत हो चुकी है. इनके घर में तीन से चार फुट पानी की धार बह रही थी. पिछले आठ दिनों से नाव के इंतजार में यहां के परिवार प्रशासन की तरफ टकटकी लगाये हुए थे. इनके घर से अब पानी कम हुआ है. प्रशासन की तरफ से अब तक यहां नाव उपलब्ध नहीं करायी गयी है. यह हाल सिर्फ यहीं का नहीं बल्कि कठघरवा, जागिरी टोला, खाप मकसुदपुर, बरइपट्टी, नवादा, मलाही टोला, रामपुर टेंगराही, भैंसही, सेमराही समेत दर्जन भर गांवों का है. यही हाल कुचायकोट प्रखंड के काला मटिहिनिया, खेममटिहिनिया, विशंभरपुर, रूपछाप, सिपाया टोला, गुमनिया, दुर्गमटिहिनिया, सलेहपुर, टाड़पर आदि समेत एक दर्जन गांवों के हैं. मांझा के निमुइया, मांघी, मंगुरहा, सिधवलिया और बैकुंठपुर के एक दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हैं. सबसे अधिक कुचायकोट और सदर प्रखंड में स्थिति बिगड़ी है. इन पीड़ितों को आपके सहयोग की जरूरत है.
आपका एक छोटा-सा सहयोग एक परिवार की जान बचा सकता है. प्रभात खबर भी आपके सहयोग में साथ निभाने को तैयार है. आप पीड़ितों के सहयोग के लिए एक बार जरूर कदम बढ़ाएं.
पीड़ितों के सहयोग में आप भी बढ़ाएं कदम
बाढ़ के पानी में घिरे लोग व राहत के इंतजार में एक परिवार.
बाढ़पीड़ितों तक पहुंचा भोजन का पैकेट
बाढ़ में घिरे लोगों तक जब भोजन पहुंचा, तो उनके चेहरे पर सुकून दिखा. पानी घटने के बाद लोगों के बीच नाव से पुड़ी और सब्जी के पैकेट पहुंचाये गये. काला मटिहनियां गांव में नीलकंठ की तरफ से भाजपा नेता दीपक द्विवेदी और मंजीत त्रिपाठी आदि लोगों ने भोजन के पैकेट पहुंचाये. आठ दिनों से यहां खाना नहीं बना था. लोगों को खाने-पीने का संकट बना हुआ था.
खाने के लिए उमड़ रही भीड़
सासामुसा : दिन के 11 बजे हैं. सिपाया तटबंध के पास बच्चे, जवान एवं बुजुर्गों की भीड़ जमी है. पंक्ति में बैठ सौ आदमी से अधिक खाना खा रहे हैं. शेष अपनी बारी की बाट जोह रहे हैं. इनमें अधिकतर वे हैं जो कल तक दूसरों को खाना खिलाते थे. आज वही हाथ खाना लेने को मुहताज हैं. यह नजारा था सिपाया तटबंध के पास बने कैंप का, जहां बाढ़पीड़ितों के पेट भरने का सहारा भंडारा बना हुआ है. विगत दो दिनों से विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय द्वारा भंडारे का आयोजन किया गया है. मंगलवार को भी पूरे दिन खाना खाने के लिए बाढ़पीड़ितों की भीड़ उमड़ी रही.
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