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जिले में लाल खून का काला खेल! निराशा . ब्लैक मार्केट में मुंहमांगी रकम पर मिलता है खून

सदर अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए ब्लड बैंक है. इसका संचालन रेड क्रॉस सोसाइटी करती है. इस बैंक में शुरू से ही ब्लड की कमी है. गोपालगंज : जिले में लाल खून का काला खेल जारी है. खून का गोरखधंधा मरीजों की जान पर भारी पड़ रहा है. ब्लैक मार्केट में मुंह मांगी […]

सदर अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए ब्लड बैंक है. इसका संचालन रेड क्रॉस सोसाइटी करती है. इस बैंक में शुरू से ही ब्लड की कमी है.

गोपालगंज : जिले में लाल खून का काला खेल जारी है. खून का गोरखधंधा मरीजों की जान पर भारी पड़ रहा है. ब्लैक मार्केट में मुंह मांगी रकम पर खून उपलब्ध कराया जाता है. वह भी सीवान और गोरखपुर से मंगाने के नाम पर. अमूमन खून के अभाव में हर दिन सदर अस्पताल से आठ से दस मरीजों को गोरखपुर या पटना रेफर करना पड़ता है. गरीब व्यक्ति खून खरीद पाने में सफल नहीं हो पाता. खून उपलब्ध कराने के लिए सदर अस्पताल में ब्लड बैंक खोला गया है.
लेकिन, इस ब्लड बैंक को ब्लड का इंतजार है. ब्लड बैंक में महज छह यूनिट खून उपलब्ध है. वह भी महज तीन ग्रुप का ही ब्लड है. वैसे ब्लड बैंक में खून के नहीं रहने के कारण इसके गोरखधंधे में माफिया लगे हुए हैं. इनका नेटवर्क ब्लड बैंक से लेकर डोनर तक जुड़ा हुआ है. शहर के कई रिक्शा चलाने वाले से लेकर स्मैकी तक माफियाओं के साथ जुड़े हुए हैं. ये माफियाओं के कहने पर अपना ब्लड बेचने का काम करते हैं.
इमरजेंसी में मरीज इन माफियाओं को मुंह मांगी रकम देकर ब्लड खरीदने को विवश होते हैं.ईश्वर न करे कि बड़ा हादसा हो. बड़ा हादसा हुआ और खून की जरूरत पड़ी, तो शायद खून के अभाव में दम निकल जायेगा. अस्पताल में महज छह यूनिट ब्लड उपलब्ध है. वह भी थावे महोत्सव के दौरान लगाये गये कैंप में चार दिन पहले डोनेट होने से उपलब्ध हुआ है. रक्तदान के लिए जागरूकता सबसे आवश्यक थी. जागरूकता के लिए ठोस पहल नहीं की जा सकी है.
आज भी खून दान करने से लोग घबराते हैं, जबकि खून दान करने से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. छह माह में एक बार खून दान करने से शरीर स्वस्थ बना रहता है. फिर भी खून के प्रति लोगों में गलत भावना बनी हुई है. रेड क्रॉस सोसाइटी के गठन के दौरान पद पाने के लिए होड़-सा लगी हुई थी. कमेटी के गठन के बाद सभी लोग फिर से पद मिलते ही निष्क्रिय हो गये.
क्या कहते हैं सचिव
रेड क्रॉस की बैठक के लिए तिथि का निर्धारण किया जा रहा है. बैठक में ही तय होगा कि कैसे पर्याप्त ब्लड उपलब्ध कराया जा सके.
ज्योति वर्णवाल, सचिव रेड क्रॉस

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