गोपालगंज : मौसम के करवट लेने के साथ ही अस्पताल में ठंड से पीड़ित बच्चों को लेकर परिजन पहुंचने लगे हैं. सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक बाल रोग विशेषज्ञ के चैंबर से लेकर ओपीडी के बाहर बच्चे को गोद में लिये परिजन अपनी बारी का इंतजार करते हुए देखे जा सकते हैं.
बाल रोग विशेषज्ञ उन्हें प्राथमिक उपचार बताने के साथ ही बीच-बीच में चेकअप कराने की सलाह दे रहे हैं. निजी अस्पताल हाउसफूलसरकारी अस्पताल के साथ ही शहर के निजी अस्पताल भी हाउसफूल है. निजी बाल रोग विशेषज्ञों के यहां सुबह में लगाये गये नंबर पर शाम तक दिखाने का मौका मिल पा रहा है. शहर के एक ही बाल रोग विशेषज्ञ की बात करें, तो सुबह से शाम तक छह सौ से ज्यादा बच्चों का परीक्षण किया जा रहा है. नामचीन बाल रोग विशेषज्ञ दस से ज्यादा हैं.
इससे आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि तीन माह से तीन साल तक के बच्चों को मौसमी वायरस से कितनी परेशानी हो रही है.पहचान का तरीकातीन माह से तीन साल तक के बच्चों को सांस लेने की दिक्कत होगी. पसली चलेगी, सांय-सांय की आवाज आयेगी. बच्चा परेशान करेगा.प्राथमिक उपचारनमक का पानी एक-एक बूंद तीन-चार बार बच्चे की नाक में डालें.
अदरक, काली, मिर्च, तुलसी और शहद का मिश्रण बना कर बच्चे को पिलाएं. इससे बच्चे का गला साफ होगा और सांस लेने में भी आसानी होगी. बचाव करने से मिलेगी राहतइन बीमारियां के फैलने का खतरा रात में ज्यादा होता है. कुहरे में धूल और धुआं एक साथ होने से बच्चे या फिर बड़े जल्दी इसके शिकार हो जाते हैं. ऐसे हालात में खुले स्थानों पर ज्यादा फायदा मिलता है.
लक्षण एकएलर्जिक एस्थमेटिक ब्रोंकाइटिसजुकाम, छींक आनाआंखों से पानी आनाभूख का न लगनाचिड़चिड़ापनउलटी होनाबुखारलक्षण दोरोटा वायरस की शुरुआत उलटी सेइस बदलते मौसम में रोटा वायरस ज्यादातर तीन माह से तीन साल तक के बच्चों को सबसे अधिक परेशान करता है. बच्चे को उलटी होने के साथ 12 घंटे में दस्त भी शुरू हो जाते हैं.
24 घंटे तक बीस से तीस दस्त होने से बच्चा कमजोर हो जाता है. ऐसा हो तो क्या करेंनीबू, चीनी व नमक का पानी देंचावल-दाल का पानी देंदूध ज्यादा पिलाएं, यह सब करने से बच्चे की कमजोरी को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
क्या कहते हैं डॉक्टरबच्चे में बुखार या फिर उलटी-दस्त के लक्षण देखने के बाद प्राथमिक उपचार के साथ अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या फिर पास के किसी पीडिएट्रिक्स को फौरन दिखाएं. जरा-सी लापरवाही बच्चे के लिए बड़ी दिक्कत पैदा कर सकती है. डॉ रामप्रवेश सिंह, शिशु रोग विशेषज्ञ