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भोरे में कांग्रेस की जीत ने पार्टी को दी संजीवनी

भोरे में कांग्रेस की जीत ने पार्टी को दी संजीवनी अब जिले की संगठन को मजबूत करने की तैयारी शुरूपुराने कांग्रेसियों को चुनाव परिणाम ने दिया नया उत्साहबिहार की 27 सीटों पर जीत तय करेगा अगला भविष्यसंवादाता, गोपालगंज35 वर्ष बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव में जान फूंक दी है. भोरे में कांग्रेस की […]

भोरे में कांग्रेस की जीत ने पार्टी को दी संजीवनी अब जिले की संगठन को मजबूत करने की तैयारी शुरूपुराने कांग्रेसियों को चुनाव परिणाम ने दिया नया उत्साहबिहार की 27 सीटों पर जीत तय करेगा अगला भविष्यसंवादाता, गोपालगंज35 वर्ष बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव में जान फूंक दी है. भोरे में कांग्रेस की जीत पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए संजीवनी साबित हुई है. चुनाव परिणाम से उत्साहित कार्यकर्ता अब संगठन को मजबूत करने की तैयारी में जुटे हैं. कांग्रेस को पॉकेट की संस्था बना कर रखनेवाले पार्टी पदाधिकारियों पर भी अब खतरा मंडराने लगा है. गोपालगंज में 1985 के बाद जितने भी चुनाव हुए उसमें कांग्रेस अपना अस्तित्व खोती चली गयी. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां बाहर से प्रत्याशी ज्योति भारती को मैदान में उतारा. मोदी लहर में जनक राम ने तब जदयू के प्रत्याशी रहे अनिल कुमार को हरा कर बिहार में सबसे अधिक वोटों से जीत दर्ज की. अनिल कुमार जदयू छोड़ कर पुन: कांग्रेस में वापस लौट गये. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर भोरे विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. इस बार भोरे विधानसभा क्षेत्र में पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ता जो मायूस होकर अपने घरों में बैठ गये थे, उन्होंने चुनाव की कमान संभाल ली. इस चुनाव में पार्टी को 14870 वोटों से जीत हासिल हुई. चुनाव परिणाम से उत्साहित कार्यकर्ता पूर्व जिला महासचिव सुदर्शन शुक्ला की मानें, तो बिहार की 27 सीटों पर कांग्रेस की जीत ने यह साबित कर दिया है कि अगला भविष्य कांग्रेस का होगा और इसके लिए अभी से ही कांग्रेस नेतृत्व को यहां संगठन पर ध्यान देना होगा. कांग्रेस से जुड़े टुन्ना दुबे ने तो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सत्यव्रत चतुर्वेदी से जिले की पूरी रिपोर्ट करते हुए कुछ नेताओं के द्वारा कांग्रेस को पॉकेट की संस्था बना कर रखने की बात कहते हुए कांग्रेस को पॉकेट से बाहर निकालने की अपील भी की. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधिवक्ता आनंद बिहारी प्रसाद सिन्हा बताते हैं कि कांग्रेस में नेता अधिक कार्यकर्ता कम हैं. अब समय आ गया है कि कार्यकर्ताओं को जोड़ कर कांग्रेस को मजबूत किया जाये.

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