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हे भगवान! अन्नदाताओं पर कैसा सितम

चक्रवाती तूफान ने गेहूं की कटनी को रोका , फसलों को भारी नुकसान गोपालगंज : कुदरत की मार से अन्नदाता किसान त्रस्त हैं.पहले तो गेहूं की बालियों में अन्न के दाने नहीं आये. रही सही कसर मूसलाधार बारिश ने पूरी कर दी. दौनी से वंचित किसान अनाज कैसे निकाल पायेंगे, यह उनके लिए चिंता का […]

चक्रवाती तूफान ने गेहूं की कटनी को रोका , फसलों को भारी नुकसान
गोपालगंज : कुदरत की मार से अन्नदाता किसान त्रस्त हैं.पहले तो गेहूं की बालियों में अन्न के दाने नहीं आये. रही सही कसर मूसलाधार बारिश ने पूरी कर दी. दौनी से वंचित किसान अनाज कैसे निकाल पायेंगे, यह उनके लिए चिंता का विषय बन गया है.
यहीं नहीं, जिनके गेहूं खलिहान में रखे गये हैं, उनके तो होश ही उड़ गये हैं.
शुक्रवार की शाम चक्र वाती हवा के बीच घंटों हुई बारिश से किसानों के खेत में जो गेहूं की फसल थी, वह पूरी तरह से बरबाद हो गयी. किसान के पास अब इतना भी गेहूं का फसल नहीं बचा कि कृषि विभाग फसल कटनी प्रयोग कर सकें. किसानों के दर्द पर सांसद और विधायक चुप्पी साधे हैं.
प्राकृतिक आपदा ने इस बार पूरी तरह से जन – जीवन पर गंभीर असर डाला है.किसान का है मुआवजे की तरफ नजर : आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे. आठ बीघे खेत में डेढ़ क्विंटल अनाज.
यह फसलों की तबाही साफ बयां कर रही है. किसान भले ही अपनी बची-खुची फसलों को शिद्दत के साथ बटोरने में जुटे हों, लेकिन उनके चेहरे पर बेबसी साफ झलक रही है. उत्पादन इतना कि उनकी मेहनत का प्रतिफल भी मिलना मुश्किल है. किसान मुआवजे के रूप में मिलने वाली राहत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं.
प्रकृति ने किसानों का ऐसा खेल बिगाड़ा कि उनकी फसल चौपट हो गयी. भोरे थाना क्षेत्र के भोपतपुरा गांव के निवासी केदारनाथ राय प्रकृति की लीला को कोसने लगते हैं. सिसई के रघुनाथ प्रसाद के चेहरे पर नष्ट हुई फसल को बटोरते वक्त उदासी साफ झलक रही थी. उन्होंने बताया कि इससे पहले आठ बीघे फसल काट चुके हैं.
कुल डेढ़ क्विंटल अनाज प्राप्त हुआ है. उन्होंने बताया कि खाद पानी को छोड़ दें कटाई व मंडाई में लगी मजदूरी भी नहीं आयी है. उन्होंने बताया कि यदि कुछ मुआवजा मिल जायेगा तो ठीक है.
मसूर व तेलहन भी चौपट : बेमौसम बारिश का असर गेहूं के साथ दलहनी फसलों भी पड़ा है.वैसे मसूर के उत्पादन के लिए यह इलाका बेहतर माना जाता है. इस बार मौसम उन्हें भी दगा दे गया. फसल पूरी तरह से चौपट हो गयी. बरौली के माधोपुर गांव विनय गुप्ता ने बताया कि उन्होंने तीन बीघा मसूर बोया था. कुल 20 किलो मसूर पैदा हुआ है. सरसों व अरहर की भी कमोवेश यही स्थिति है.

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