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संत की संगत के लिए संयम आैर सदाचार का जीवन जरूरी : पिंटू बाबा

भोरे : संत के संग बने रहने के लिए संयम, सदाचार के साथ दैनिक चर्या में जीवन व्यतीत करना पड़ेगा. लेकिन, मानव ऐसा नहीं करता है. वह, तो लोभ के वशीभूत होकर अपना जीवन व्यर्थ कर देता है. कलियुग में संत का सम्मान करना ही सर्वोपरि धर्म है. संत के साथ रह कर भी जो […]

भोरे : संत के संग बने रहने के लिए संयम, सदाचार के साथ दैनिक चर्या में जीवन व्यतीत करना पड़ेगा. लेकिन, मानव ऐसा नहीं करता है. वह, तो लोभ के वशीभूत होकर अपना जीवन व्यर्थ कर देता है. कलियुग में संत का सम्मान करना ही सर्वोपरि धर्म है. संत के साथ रह कर भी जो व्यक्ति धर्म का आचरण नहीं करता वह अपने मन, नेत्र यानी इंद्रियों पर अंकुश नहीं लगा पाता है.

ये बातें भोरे प्रखंड के शिवराजपुर में स्थित श्रीनर्वदेशवर नाथ शिव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत संगीतमय कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान प्रवचन करते हुए पं. सुशील कुमार मिश्र उर्फ पिंटू बाबा ने कहीं. उन्होंने कहा कि धर्म का आचरण करने वाला यदि थोड़ा भी इससे विचलित होता है और अगर उसे अगले जन्म में स्वान का जन्म मिल जाता है, उस समय पूर्व जन्म में किये गये पुण्य का फल उसे अवश्य ही प्राप्त होता है
और वह उच्च परिवार में पोषित होता है, जिसे सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं. इतना ही नहीं इससे भी उच्च पद उसे मिलता है. वह देश रक्षा में भी काम आता है, तो डिफेंस डॉग के रूप में हर प्रकार की सुख-सुविधाएं सरकार द्वारा प्राप्त करता है और मरणोपरांत गार्ड ऑफ ऑनर भी उसे मिलता है.
संतों के बारे में उन्होंने कहा कि संत के लिए सब अपने ही हैं. वह भले-बुरे में अंतर नहीं करता. सबको समान रूप से देखता है. यही संत के लक्षण हैं. यज्ञ के आयोजक संत शंकर दास उर्फ साधु बाबा के परम शुभेच्छु संत बच्चा बाबा मौके पर उपस्थित थे. मौके पर डॉ जैनेंद्र कुमार शुक्ल प्रभात, अमर तिवारी, पंकज शुक्ला, आदित्य नारायण शुक्ल, रामाशीष पांडेय, राजनाथ यादव, रामानंद प्रसाद यादव, रामकलावती देवी, सुनीता शुक्ला समेत कई श्रद्धालु थे.

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