गोपालगंज : बैन लगने के बावजूद पान मसाला और गुटखाें की बिक्री बंद नहीं हुई है बल्कि दुकानदारों इसकी कीमत बढ़ा दी है. दुकानदार ग्राहकों से मनमानी पैसे वसूल रहे हैं. पांच रुपये का गुटखा अब सात रुपये में बिक रहा है, वहीं पान की कीमत में भी उछाल आ गयी है. प्रतिबंध के आदेश के दो दिन बीत जाने के बाद अबतक प्रशासन की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.
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बैन के बाद पान मसाला व गुटखों की कीमत में उछाल
गोपालगंज : बैन लगने के बावजूद पान मसाला और गुटखाें की बिक्री बंद नहीं हुई है बल्कि दुकानदारों इसकी कीमत बढ़ा दी है. दुकानदार ग्राहकों से मनमानी पैसे वसूल रहे हैं. पांच रुपये का गुटखा अब सात रुपये में बिक रहा है, वहीं पान की कीमत में भी उछाल आ गयी है. प्रतिबंध के आदेश […]
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर में पान मसाला और गुटखाें की बिक्री पर शनिवार की मध्य रात्रि से रोक लगा दी है. लेकिन, बिक्री पर कोई असर नहीं दिख रहा है. शहर से लेकर गवहीं चौक-चौराहे पर संचालित दुकानों में बिक्री पहले की तरह जारी है. न तो प्रशासन की ओर से बिक्री पर रोक की पहल की जा रही है और न ही दुकानदारों पर कोई असर दिख रहा है.
बता दें कि प्रतिबंध के तहत गुटखा खाना और बेचना दोनों अपराध है. सरकार के नये आदेश की घोषणा के बाद शुक्रवार की शाम से ही गुटखा और पान मसाले की कीमत बढ़ गयी है. एक पान दुकानदार ने बताया कि प्रति पॉकेट गुटखे पर 20 से 25 रुपये थोक विक्रेता अधिक ले रहे हैं. ऐसे में गुटखा महंगा बेचना मजबूरी है.
क्या कहते हैं अधिकारी
प्रचार-प्रसार कराकर पहले दुकानदारों को गुटखा और प्रतिबंधित पान मसाले की बिक्री न करने का अल्टीमेटम दिया जायेगा. अल्टीमेटम के बाद जल्द ही टीम बनाकर जांच भी की जायेगी. पकड़े जाने पर नियमानुसार कार्रवाई होगी.
उपेंद्र कुमार पाल, प्रभारी एसडीओ सह डीसीएलआर, गोपालगंज
प्रतिदिन 15 लाख से अधिक का है कारोबार
जिले में पान और गुटखे का प्रतिदिन 15 लाख से अधिक का कारोबार होता है. पान और गुटखाें की 12 हजार से अधिक दुकानें हैं. इसमें गुटखा तो गांव और टोले-मोहल्ले के किराना और जेनरल स्टोर की दुकानों पर बिकते हैं. इस कारोबार में दो सौ अधिक फेरीवाले दुकानदारों को गुटखा पहुंचाते हैं. फिलहाल फेरी वालों ने अभी काम बंद कर दिया है.
2014 में लगी थी रोक, नहीं पड़ा था असर
इससे पूर्व वर्ष 2014 में राज्य सरकार ने एक साल के लिए गुटखे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. उस समय भी दुकानदारों ने प्रति गुटखा एक रुपये बढ़ाकर बिक्री जारी रखी. उस समय भी बिक्री पर रोक की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी थी.
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