गोपालगंज : लश्कर-ए-तैयबा के शेख अब्दुल नईम जब गोपालगंज पहुंचा तो खुद को सोहैल खान बता कर अपने को स्थापित करने के लिए एक कोचिंग संस्थान में बतौर स्टूडेंट के रूप में दाखिला लिया. महज पांच दिनों में ही फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगा. इस दौरान उसका संबंध बंजारी के रहने वाले युवक प्रशांत राय से हो गया. प्रशांत राय को अपने जाल में फंसा कर सबसे करीबी दोस्त बना लिया. प्रशांत को ही आगे कर होटल कैलाश के पीछे एक स्कूल में शिक्षक की नौकरी ले ली. 12 हजार रुपये प्रतिमाह की डिमांड किया और स्कूल प्रबंधन से छह हजार पर बात फाइनल हो गयी. एनआईए के पूछताछ में यह खुलासा हुआ है.
एनआईए से जुड़े सूत्रों की मानें तो छह हजार रुपये प्रतिमाह के वेतन पर नईम 14 माह तक शिक्षक के पद पर काम किया. इस दौरान उसके हाईफाई रहन सहन के बाद भी लोग नहीं समझ पाये कि महज छह हजार रुपये कमाने वाला युवक इतना कैसे मेंटेन कर रहा. चार हजार रुपये का घर का किराया, लाइफ स्टाइल को देखकर लोग अंदाजा नहीं लगा सके. किसी ने आतंकी से जुड़े होने की कल्पना तक नहीं की थी. इसका लाभ उठाकर सोहैल ने खुद की स्मार्ट लर्नर एकेडमी प्रशांत को आगे कर जादोपुर रोड में खोल लिया.
इसके साथ एकेडमी के आड़ में अपने नेटवर्क को मजबूत करने में सफलता हासिल की. एनआईए की टीम अब सोहैल के नाम से तैयार किये गये नेटवर्क को खंगालने में जुटी है. सोहैल से जुड़े लोगों के संबंधों की गहराई से जांच हो रही. जानकारों का मानना है कि सोहैल के लिए स्कूल से मिलने वाला वेतन महज दिखावा था. इस दौरान उसने शहर के कई बैंकों में अपना खाता खोलकर अपना काम करता था.