गोपालगंज : मनरेगा और पंचायत की योजनाओं की ऑडिट में ली जा रही रिश्वत के दौरान गिरफ्तार ऑडिटरों का केस निगरानी को सौंपने की तैयारी में पुलिस जुट गयी है. पुलिस नगर थाने में दर्ज कांड को मुजफ्फरपुर निगरानी को सौंपेगी. अब इस कांड की जांच निगरानी को करनी है. निगरानी की जांच से कई […]
गोपालगंज : मनरेगा और पंचायत की योजनाओं की ऑडिट में ली जा रही रिश्वत के दौरान गिरफ्तार ऑडिटरों का केस निगरानी को सौंपने की तैयारी में पुलिस जुट गयी है. पुलिस नगर थाने में दर्ज कांड को मुजफ्फरपुर निगरानी को सौंपेगी. अब इस कांड की जांच निगरानी को करनी है. निगरानी की जांच से कई अधिकारियों और कर्मियों की संलिप्तता उजागर होने की संभावना है.
मनरेगा के पीओ तथा एक जिले के अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. जानकार सूत्रों की मानें तो सीए के छात्रों से पंचायत की योजनाओं की ऑडिट करायी जा रही थी. उनके द्वारा मनरेगा योजना की जांच के लिए सात हजार तथा पंचायतों की योजनाओं के लिए 10 से 20 हजार रुपये की रिश्वत की राशि तय की गयी थी. यह राशि लेने के बाद ऑडिट की मुहर लगायी जाती थी.
माना जाता है कि ऑडिट की मुहर लगने के बाद योजना में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होने की अंतरिम रिपोर्ट ऑडिट की रिपोर्ट होती है. ध्यान रहे कि गत 26 सितंबर को डीएम राहुल कुमार ने मुखबिरों से मिली सूचना पर छापेमारी कर 1.45 लाख की रिश्वत की राशि के साथ ऑडिट के काम में लगे मुजफ्फरपुर जिले के सिकंदरपुर के राहुल कुमार तथा कांटी के तरुण विजय प्रताप सिंह को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था. एसडीओ शैलेश कुमार दास, सीओ कृष्ण मोहन, बीडीओ किरण कुमारी, नगर इंस्पेक्टर संजय कुमार, सब इंस्पेक्टर विनय प्रताप सिंह की टीम ने छापेमारी की थी.