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भक्ति भाव की बह रही गंगा

उत्साह का माहौल. महा अष्टमी पूजन-दर्शन को उमड़े श्रद्धालु बरौली : माता रानी के पट खुलने के साथ ही क्षेत्र में भक्ति भाव जैसे गांव से लेकर शहर तक तथा घर से लेकर मंदिरों तक उमड़ पड़ा है़ दुर्गा सप्तशती के अर्गलास्त्रोत के मंत्र मंदिरों, पूजा-पंडालों के साथ घरों में भी गूंज रहे हैं. मंदिरों […]

उत्साह का माहौल. महा अष्टमी पूजन-दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

बरौली : माता रानी के पट खुलने के साथ ही क्षेत्र में भक्ति भाव जैसे गांव से लेकर शहर तक तथा घर से लेकर मंदिरों तक उमड़ पड़ा है़ दुर्गा सप्तशती के अर्गलास्त्रोत के मंत्र मंदिरों, पूजा-पंडालों के साथ घरों में भी गूंज रहे हैं. मंदिरों का पट खुलने के साथ ही माता के जयकारे से पूरा माहौल भक्तिमय दिख रहा है़ चारों ओर अगरबत्ती और धूप की महक के साथ ही देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परमं सुखम्, रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि, यानि हे मां, मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो, परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो गूंज रहा है़ लोग माता के दर्शन के लिए उमड़ पड़े हैं. गांव और शहर का फर्क जैसे मिट सा गया है़
रंग-बिरंगी परिधानों में सजे लोग एक तरह जहां माता रानी का दर्शन कर रहे हैं, वहीं मेले का भी लुत्फ उठा रहे हैं. यहां तक की गांवों में भी कई पंडाल शोभा बढ़ा रहे हैं. महाअष्टमी का दुर्गापूजा में एक अलग विशिष्ट महत्व है़ इस दिन मां गौरी की पूजा-पाठ तथा खास कर कन्या पूजन किया जाता है़ दुर्गापूजा के बारे में कहा जाता है की सबसे पहले भगवान श्रीराम ने समुद्र के किनारे 9 दिनों तक माता की पूजा की थी तब लंका की ओर प्रस्थान किया था तथा युद्ध में विजय प्राप्त की थी़, तभी से दशहरा मनाया जाता है. अष्टमी को व्रत पूर्ण करने के बाद छोटी कन्याओं का पूजन भी किया जाता है जो मातारानी का रूप होती हैं. व्रत को पूर्ण करने और माता का आशीर्वाद लेने के लिए कन्याओं को अष्टमी और नवमी के दिन पूजन करना आवश्यक होता है़

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