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भवन के अभाव में लाइब्रेरी में चलती हैं कक्षाएं

गोपालगंज : पंचदेवरी. प्रखंड का जमुनहा हाइस्कूल सह इंटर काॅलेज वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है. शिक्षा से संबंधित सारी योजनाओं के साथ-साथ सरकार की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नीति धरातल पर कहां तक सफल है, इसका एक बेहतर उदाहरण है यह विद्यालय. यहां की व्यवस्था देख कर शिक्षा के विकास के प्रति सरकार की […]

गोपालगंज : पंचदेवरी. प्रखंड का जमुनहा हाइस्कूल सह इंटर काॅलेज वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है. शिक्षा से संबंधित सारी योजनाओं के साथ-साथ सरकार की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नीति धरातल पर कहां तक सफल है, इसका एक बेहतर उदाहरण है यह विद्यालय. यहां की व्यवस्था देख कर शिक्षा के विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर अपने-आप सवाल खड़े हो जाते हैं.यहां छात्रों की संख्या लगभग 1200 है. कमरों की संख्या मात्र पांच है,जिनमें तीन जर्जर अवस्था में हैं. सिर्फ दो कमरे ही कक्षा संचालन के लायक हैं.मजबूरी बस कक्षा संचालन के लिए लाइब्रेरी का सहारा लेना पड़ता है. हाइस्कूल में मात्र पांच शिक्षक हैं.उनमें भी एक शारीरिक शिक्षक और एक हेडमास्टर हैं. शेष तीन शिक्षक सामाजिक विज्ञान के हैं.
गणित और विज्ञान के एक भी शिक्षक नहीं हैं. नामांकन कराने के बाद छात्रों के सामने बोर्ड की तैयारी के लिए एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है.कोचिंग के भरोसे छात्र परीक्षा की तैयारी करते हैं.संस्कृत,हिंदी और अंगरेजी के भी यहां शिक्षक नहीं हैं.छात्रों की संख्या के मुताबिक यहां शिक्षकों की संख्या कम-से-कम 30 होनी चाहिए.लेकिन,तीन शिक्षकों के भरोसे ही शिक्षा की सारी व्यवस्था है.प्लस-टू की व्यवस्था पर नजर डालें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि ऐसे विद्यालयों में छात्रों का भविष्य संवरा नहीं जा रहा है,बल्कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.2011 में हाइस्कूल को अपग्रेड कर दिया गया.तीन साल तक बिना शिक्षक और भवन के ही कक्षाओं का संचालन होता रहा.तीन साल बाद विभाग को शिक्षकों की आवश्यकता महसूस हुई,तो 2014 में मात्र तीन शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गयी.फिर तीन साल बाद 2017 में एक और शिक्षक की नियुक्ति की गयी.इनमें एक शिक्षक इतिहास,एक राजनीति शास्त्र और दो हिंदी के हैं.बाकी किसी भी विषय के शिक्षक यहां नहीं हैं.छह वर्षों से विद्यालय बिना शिक्षक के ही चल रहा हैं.
साइंस के छात्र यहां नामांकन कराओ और डिग्री पाओ के तर्ज पर पढ़ाई करते हैं.प्लस-टू के लिए भवन बनकर तैयार है,लेकिन विद्यालय को अप्राप्त है.इन छात्रों की पढ़ाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इसके लिए दोषी जो भी हों,लेकिन विद्यालय की व्यवस्था देख कर ऐसा लगता है कि सचमुच शिक्षा के साथ छल किया जा रहा है.
अलमारी में बंद हैं प्रयोग के सामान : विद्यालय में न लाइब्रेरी है और न ही प्रयोगशाला.प्रयोग के सारे सामान और किताबें अलमारी में सड़ रहे हैं.भवन के अभाव में लाइब्रेरी में कक्षा का संचालन होता है.विज्ञान के शिक्षक के अभाव में आज तक छात्रों को प्रयोग नहीं कराया गया.छात्रों का कहना है कि विज्ञान एवं गणित के शिक्षक का नहीं होना उनके लिए अभिशाप के समान है.
10 वर्षों से धूल फांक रहे हैं कंप्यूटर : विद्यालय में आधा दर्जन कंप्यूटर 10 वर्षों से धूल फांक रहे हैं.विभाग के रेकॉर्ड में इस विद्यालय में कंप्यूटर की पढ़ाई होती है.लेकिन,धरातल पर वास्तविकता कुछ और ही है.
कंप्यूटर शिक्षक के अभाव में कंप्यूटर बंद पड़े हुए हैं.छात्र कंप्यूटर सीखने के लिए परेशान रहते हैं,लेकिन कक्षा का संचालन कभी नहीं होता है.
सिर्फ एक शौचालय से चलता है काम : कहने के लिए विद्यालय में तीन शौचालय हैं, लेकिन,एक शौचालय से ही छात्र एवं शिक्षक सबको काम चलाना पड़ता है.दो शौचालय जर्जर अवस्था में हैं.1200 छात्रों के लिए मात्र एक शौचालय होने से काफी परेशानी होती है.यहां पर भी छात्र नंबर लगा कर ही काम चलाते हैं.

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