उदय शंकर प्रसाद,मानपुर
एक तरफ सरकार गांव-टोलाें में हर घर नल का जल पहुंचाने की घोषणा की है. इधर, जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूरी पर मानपुर प्रखंड के लोग अब भी पानी के लिए घर से एक किलोमीटर दूर डोल-बाल्टी लेकर कुओं तक आते हैं और कुओं के गंदे पानी को पीने को मजबूर हैं. आंकड़े बताते हैं कि मानपुर में कुल 12 पंचायतें हैं, इसमें कुल 170 वार्ड हैं. सरकार ने सात निश्चय योजना के तहत सभी वार्डों में नलजल चालू करने की योजना बनायी. इसमें मानपुर प्रखंड में आबादी को देखते हुए 170 वार्डों में 181 नल-जल के टावर-टंकी लगाये गये. इसमें पीआरडी (यानी वार्ड क्रियान्वयन समिति) से 107 जगहों पर पानी टंकी, बोरिंग व नलजल का पाइप सभी घरों तक पहुंचाया गया. पीएचइडी को 74 जगहों पर नलजल योजना चालू करने की जिम्मेदारी दी गयी. मानपुर में अधिकतर जगहों पर पानी की भारी किल्लत है. इसमें खास कर महादलित टोलाें में स्थिति अधिक भयावह है. इधर, सनौत पंचायत के अंतर्गत दुधइला, सनौत, दोहारी, मोबारकचक, कोईलीपुर, दर्जियाबाग, भुआलपुर महादलित टोला पैनपुरा, केमचक आदि जगहों पर पानी टंकी चालू ही नहीं हुई है. पीएचइडी से जो ठेकेदार काम का जिम्मेदारी लिया वह अधूरा काम कर पैसा निकासी कर भाग गया. पंचायत की 13 वार्डों में मात्र चार में नलजल चालू है, वहीं वार्ड दो, पांच, छह, सात, आठ, नौ, 12 व 13 में अब तक पानी चालू नहीं हुआ, नलजल का टावर शोभा की वस्तु बना है.क्या कहते हैं बीडीओबीडीओ वेद प्रकाश ने बताया कि मानपुर की गेरे पंचायत के वार्ड 11 में मोटर जला हुआ है. पाइप लाइन क्षतिग्रस्त है.वार्ड दो में मोटर खराब है, पाइप लाइन क्षतिग्रस्त है. बारा गंधार पंचायत में वार्ड दो में बोरिंग फेल, वार्ड 11 में पाइपलाइन क्षतिग्रस्त है, वार्ड 12 व 13 में बोरिंग फेल है. वहीं उसरी पंचायत में वार्ड एक से लेकर छह तक मोटर खराब व बोरिंग फेल है. वहीं वार्ड 10 व 12 में मोटर खराब है. बीडीओ ने बताया कि ये आंकड़े एक सप्ताह पहले अधिनस्थ कर्मचारियों ने दिये.
क्या कहते हैं स्थानीय लोगकुएं से पानी भर कर ही जीवन यापन करना मजबूरी बनी हुई है, आजाद बिगहा में में कुछ हैंडपंप लगाये गये हैं, पर वह खराब पड़े हैं. प्रशासन कुछ पहल करे.सविता देवी, ग्रामीणबरसात के दिनों में कुएं का पानी गंदा हो जाता है, इससे डायरिया का संक्रमण बढ़ जाता है. पहाड़ी के समीप रहने के कारण खुद का बोरिंग करना भी सबके वश की बात नहीं है.
आरती देवी, आजाद बीघापढ़ाई-लिखाई करने जाने में भी काफी दिक्कत होती है. कुएं पर भीड़ लगी रहती है. पानी भरने में घंटों इंतजार करना पड़ता है. इस पर काफी ध्यान देना होगा.प्रतिमा कुमारी, आजाद बीघासभी पंचायतों के मुखिया या अधिकारी सिर्फ वादे करते हैं, पर विकास के लिए कोई काम नहीं होता. अगर स्वच्छ जल भी नहीं मिल पाती तो जीवन जीने का क्या मतलब रह जाता है.
सूर्यमनी देवी, आजाद बीघासरकारी अधिकारी तक इस महादलित टोले में कभी जांच के लिए नहीं आते. आखिर सरकार का पैसा जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच रहा और बिचौलिए पैसों को लूटने में लगे हुए हैं.संतरा मांझी, आजाद बीघा
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