दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को सीयूएसबी के कुलपति ने किया संबोधित
फोटो- गया बोधगया 211- कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में संबोधित करते सीयूएसबी के कुलपति
वरीय संवाददाता, गया जीग्रामीण भारत व शहर, दोनों में बड़ी खाई है. आज देश के सामने गांव में रहने वाले युवा, खासकर पढ़ने-लिखने वाले छात्रों का ज्ञान संवर्धन कैसे हो, उनके परिष्करण कैसे हो, उनका विकास कैसे हो, ये सभी चुनौती का विषय है. केवल नगरीय क्षेत्र विकसित होते जाये व ग्रामीण क्षेत्र पिछड़ते जाये, यह देश की सुरक्षा के लिए सही नहीं है और इस पर विचार-विमर्श कर समाधान निकालने की आवश्यकता है. इसलिए चाहे वह ज्ञान का क्षेत्र हो, चिकित्सा का क्षेत्र हो, अधिवक्ता के क्षेत्र में हों, अभियंता के क्षेत्र में हो, निर्माण का क्षेत्र हो, उद्योग का क्षेत्र हो या कोई भी विकास का क्षेत्र हो, जितनी जल्दी हो सके ग्रामीण और नगरीय भारत के बीच की खाई को समाप्त कर दिया जाये. ग्रामीण क्षेत्र व नगरीय क्षेत्रों के बीच की खाई को पाट कर ही हम एक समृद्ध भारत व विकसित भारत की परिकल्पना कर सकते हैं. यह बातें सीयूएसबी के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में राजर्षि जनक सेंट्रल लाइब्रेरी द्वारा ग्रामीण छात्रों के विकास में सार्वजनिक पुस्तकालय की भूमिका: चुनौतियां और अवसर विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में कहीं. राजा राममोहन रॉय लाइब्रेरी फाउंडेशन (आरआरआरएलएफ), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व सीयूएसबी के सेंट्रल लाइब्रेरी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति ने कहा कि इस कार्यशाला का विषय समसामयिक और काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में समाज के हर वर्ग एवं ग्रामीण तथा शहरी इलाके के रहने वाले लोगों को बिना किसी भेदभाव के कंधे-से-कंधा मिलाकर साथ चलना होगा तभी विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की प्राप्ति संभव हो पायेगा. मुझे प्रसन्नता है कि सीयूएसबी का ध्येय कैंपस फॉर कम्युनिटी है और ग्रामीण क्षेत्र की आवश्यकताओं को देखते हुए इस तरह के कार्यशाला का आयोजन काफी सराहनीय है. कुलपति प्रो सिंह ने कार्यशाला के आयोजन मंडल में शामिल सदस्यों लाइब्रेरियन डॉ प्रमोद कुमार सिंह, डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ पंकज माथुर, असिस्टेंट लाइब्रेरियन डॉ मयंक युवराज एवं अन्य पुस्तकालय कर्मियों की सराहना करते हुए बधाई तथा शुभकामनाएं दी. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई और इसके पश्चात लाइब्रेरियन डॉ प्रमोद कुमार सिंह ने स्वागत भाषण में सभागार में मौजूद विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों, अधिकारियों, शोधार्थियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए दो दिवसीय कार्यशाला के उद्देश्यों से अवगत कराया. सम्मानित अतिथि के रूप में डॉ बी के सिंह, लाइब्रेरियन, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने कार्यशाला के विषय पर बोलते हुए इसकी महत्वता एवं प्रासंगिकता से प्रतिभागियों को अवगत कराया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

