इमामगंज विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1957 में अस्तित्व में आया
निर्भय कुमार पांडेय, इमामगंज
विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख चौक-चौराहों पर राजनीतिक चर्चा तेज हो गयी. कार्यकर्ता अपने-अपने राजनीतिक दलों के नेताओं का गुणगान करने में लग गये हैं. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1957 में अस्तित्व में आया. 67 वर्ष गुजर जाने के बाद भी कई बड़ी समस्या आज भी मुंह बाएं खड़ी है. जो इस बार के चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनते नजर आ रहा है. जिसमें इमामगंज को जिला बनाओ की मुद्दा चर्चा में ट्रेंड कर रहा है. इसके अलावा इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में बेहतर सिंचाई व्यवस्था बनाना, इमामगंज में बाइपास का निर्माण करना, क्षेत्र में कल-कारखाना खोल कर बेरोजगारी और पलायन को रोकना, बड़ा अस्पताल खोलना, प्रस्तावित गया-डाल्टेनगंज नयी रेलवे लाइन में कार्य प्रारंभ करने, बांकेबाजार के मनोकामना महादेव मंदिर को पर्यटक स्थल घोषित करने, उच्च शिक्षा के लिए पॉलिटेक्निक कॉलेज खोलने शामिल है. हालांकि, प्रमुख मुद्दा में कई ऐसे मुद्दा है जिस पर राज नेताओं ने आश्वासन देते हुए कहा है कि बहुत जल्द ही कार्य धरातल पर नजर आयेंगे. लेकिन, मतदाताओं की माने तो नेताओं का काम ही आश्वासन देना होता है. जब तक कार्य धरातल पर नहीं होता है. तब तक हमलोगों को विश्वास नहीं होगा. इधर, इमामगंज विधानसभा क्षेत्र को बारीकी से जानने वाले समाजसेवी मोहन यादव ने बताया कि इस बार इमामगंज विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी और पलायन प्रमुख मुद्दा बनेगा. इस क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के युवा प्रति दिन रोजगार के तलाश में दूसरे राज्य में जा रहें है. सरकार इस क्षेत्र में कल-कारखाना उद्योग-धंधा स्थापित कर दी होती, तो युवाओं को इसी क्षेत्र में नौकरी मिल जाती और परिवार को बीच रहकर खुशी से अपना जीवन यापन करते. लेकिन, सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. जिसके कारण लोग पलायन करने पर मजबूर है. उन्होंने बताया कि गया-डाल्टेनगंज रेल लाइन का निर्माण जल्द हो जाता तो उससे भी युवाओं को रोजगार मिलता और क्षेत्र का चहूंमुखी विकास होने से बेरोजगारी पर अंकुश लगाया जा सकता था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

