गया. रविवार छुट्टी का दिन होता है. हालांकि, इमरजेंसी वार्ड खुला रहता है. लेकिन, अक्सर देखा जा रहा है कि रविवार को लापरवाही की सारी हदें पार कर दी जाती हैं. रविवार को घोर लापरवाही देखने को मिली. इमरजेंसी के सर्जरी वार्ड में तैनात नर्स काउंटर पर बैठी थी. एक नर्सिंग छात्र मरीज को इंजेक्शन देने पहुंची. चार सिरिंज में बिना निडिल के ही दवा डाल कर बेड पर ही रख दिया और बारी-बारी से मरीज को देने लगगी. यही हालात इमरजेंसी के हॉल में भी दिखा, जहां एक नर्सिंग छात्रा मरीज को इंजेक्शन देने के क्रम में बेड पर सिरिंज को रख देती है और बारी-बारी से मरीज को सिरिंज उठाकर इंजेक्शन देती है. रूई को भी नर्सिंग छात्र बेड पर ही रख देती है. अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, मरीज को इंजेक्शन देने के लिए ट्रे में सिरिंज को ले जाना है. इमरजेंसी इंचार्ज बताते हैं कि नर्सिंग छात्र को इंजेक्शन नहीं देना है. नर्स को साथ रहकर ही उसे इंजेक्शन देने के बारे में बताना है.
मरे व्यक्ति से करीब चार घंटे तक नहीं निकाला कैथेटर व वेन सेट
इमरजेंसी वार्ड में भर्ती एक मरीज की मौत रविवार की अहले सुबह हो गयी. मरीज को करीब छह बजे मृत घोषित किया गया. 10 बजे मृत मरीज के शव से कैथेटर व वेन सेट भी नहीं निकाला गया था. अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, मृतक को ऐसे ही बेड पर करीब चार घंटे तक छोड़ दिया गया. आसपास के मरीज मृतक को देख कर असहज महसूस कर रहे थे. शरीर से कैथेटर व वेन सेट निकालने के लिए फोर्थ ग्रेड कर्मचारी आया. नियम के अनुसार, यह काम यहां के नर्सिंग स्टाफ का होता है. लोगों ने बताया कि यहां इलाजरत मरीज को फोर्थ ग्रेड ही कैथेटर व वेन सेट लगाते हैं.बैंडेज के बारे में पूछा तो नहीं दिया सही जवाब
मरीज के साथ रहे जितेंद्र कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी की आंत का ऑपरेशन इमरजेंसी में ही किया गया है. हालात यह है कि उसके बाद यहां बैंडेज के लिए पूछने पर रविवार की सुबह नर्सिंग स्टाफ चिल्लाते हुए कहती हैं कि डॉक्टर से जाकर बात करो. दोनों ओर से कुछ देर बहस भी हुई. किसी तरह मामले को शांत किया गया. बेला के कपिल यादव कमर में चोट लगने पर यहां भर्ती हुए हैं. उन्होंने बताया कि बिना बेहतर इलाज के ही इमरजेंसी से छुट्टी कर दी गयी. इसके बाद भी वे सही इलाज की मांग करते हुए बेड पर ही पड़े हुए हैं.क्या कहते हैं इमरजेंसी वार्ड के इंचार्ज
यहां के नर्सिंग स्टाफ को स्टूडेंट्स से काम नहीं कराने को कहा गया है. इस बारे में अधीक्षक की ओर से भी नर्सिंग स्टाफ को चेतावनी भी दी गयी है. मरीज के साथ व्यवहार को मधुर रखने की भी सलाह अधीक्षक के माध्यम से कई बार स्टाफ को दी गयी है. मृत मरीज के शरीर से कैथेटर व वेन सेट निकालने की जिम्मेदारी नर्सिंग स्टाफ की है. अधीक्षक इन सारे मामलों में किसी तरह से बर्दाश्त नहीं करेंगे. इस तरह की लापरवाही किसी को नहीं करनी चाहिए. कई बार समझाने के बाद भी इसमें सुधार नहीं आ रहा है.डॉ मनीष कुमार सिंह, इमरजेंसी इंचार्ज, एएनएमएमसीएच
सिरिंज बेड पर रखकर इंजेक्शन देना बहुत ही खतरनाक
सिरिंज में दवा डाल कर निडिल लगाना या फिर मरीज के बेड पर रखकर देना खतरनाक है. इससे मरीज को कई तरह के खतरनाक बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है. इंफेक्शन का खतरा हर वक्त बना रहता है. बेड सबसे बड़ा इंफेक्शन का जड़ होता है. मरीज के साथ सरल व्यवहार करने की चेतावनी कई बार नर्सिंग स्टाफ को दी जा चुकी है. इसके बाद भी हर दिन मरीज के साथ नर्सिंग स्टाफ के दुर्व्यवहार की शिकायत मिलती है. इस तरह का व्यवहार कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.डॉ एनके पासवान, उपाधीक्षक, एएनएमएमसीएच
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है