गया. सीयूएसबी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और शिक्षा मंत्रालय के आइकेएस प्रभाग के सहयोग से इंडियन नॉलेज सिस्टम (भारतीय ज्ञान प्रणाली) पर आयोजित कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यक्रम के तहत एकात्म मानववाद पर विशेष व्याख्यान आयोजित किया. एकात्म मानववाद और सतत विकास 21वीं सदी की आवश्यकता विषय पर अपने संबोधन में कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने 21वीं सदी की चुनौतियों का समाधान करने में भारतीय विचार, परंपरा और शैली की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने जोर देकर कहा कि शांति, सतत विकास और नैतिक उपभोक्तावाद का मार्ग एकात्म मानववाद के सिद्धांतों को अपनाने में निहित है. प्रो सिंह ने इस बात पर बल दिया कि भारतीय दर्शन विकास-केंद्रित विकास के बजाय मानव-केंद्रित विकास को बढ़ावा देता है. पूंजीवाद और साम्यवाद के विपरीत जो सामाजिक परिणामों की परवाह किये बिना लाभ वितरण तंत्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं, भारतीय विचार शुभ-लाभ की अवधारणा को रेखांकित करता है. कुलपति ने कहा कि यह दृष्टिकोण आधुनिक युग में संतुलित और सतत विकास की अति आवश्यक आवश्यकता के अनुरूप है. व्याख्यान में आधुनिक उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में भारत के दार्शनिक ज्ञान और स्वदेशी अनुसंधान पद्धतियों को एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित किया. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि विवेकानंद सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर के 25 उच्च शिक्षा संस्थानों (एमएमटीटीसी) के संकाय सदस्यों के साथ सीयूएसबी के प्राध्यापकों ने भाग लिया है. प्रो अशोक कुमार, निदेशक, यूजीसी-आइकेएस क्षमता निर्माण कार्यक्रम, सीयूएसबी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को उजागर करना और इसे आधुनिक शिक्षा में समाहित करना है.
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