गया जी. जिले के अनुमंडल अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) से मामूली बीमारी या हल्की चोट के मामलों में भी मरीजों को सीधे एएनएमएमसीएच रेफर किया जा रहा है़ यह स्थिति न केवल गया, बल्कि औरंगाबाद और नवादा जिलों में भी देखने को मिल रही है. अस्पताल सूत्रों के अनुसार, खासकर मारपीट जैसे मामूली मामलों में, जहां केवल हल्की चोट लगी होती है, मरीजों को मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है. ऐसे मामलों का उपचार स्थानीय पीएचसी या अनुमंडल अस्पताल में आसानी से संभव है. लेकिन, इन्हें एएनएमएमसीएच की इमरजेंसी वार्ड में लाया जा रहा है, जहां पहले से ही बेड की भारी कमी है. परिणामस्वरूप, मरीजों का इलाज अक्सर कुर्सी या स्ट्रेचर पर ही करना पड़ता है.
नियमों के खिलाफ हो रहा काम
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार, केवल अति गंभीर अथवा जटिल स्थिति वाले मरीजों को ही सीधे मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाना चाहिए. सामान्य मामलों में पहले सदर अस्पताल भेजा जाना अनिवार्य है. इस प्रक्रिया के पालन से एएनएमएमसीएच पर बोझ कम होगा और गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा.अधीक्षक ने सिविल सर्जन को लिखा पत्र
इस समस्या के समाधान हेतु एएनएमएमसीएच के अधीक्षक डॉ केके सिन्हा ने सिविल सर्जन को पत्र लिखकर अनावश्यक रेफरलों पर रोक लगाने की अपील की है. पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि मगध प्रमंडल का यह एकमात्र बड़ा अस्पताल है, जहां विभिन्न जिलों से गंभीर मरीज बेहतर इलाज की उम्मीद में आते हैं. इसके बावजूद अनुमंडल अस्पताल और पीएचसी से कई बार मामूली जांच, जैसे सीटी स्कैन या खून की जांच के लिए भी मरीजों को एएनएमएमसीएच भेज दिया जाता है, जबकि ये सभी सुविधाएं अब सदर अस्पताल में भी उपलब्ध हैं.रेफरल प्रक्रिया में लापरवाही
पत्र में यह भी बताया गया है कि मरीजों को रेफर करते समय निर्धारित प्रक्रिया (कोरम) का भी पालन नहीं किया जा रहा है. जबकि स्वास्थ्य विभाग की स्पष्ट गाइडलाइन है कि किसी भी स्थिति में रेफरल पॉलिसी का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए.अस्पताल में बहुत बढ़ गया है लोड
पीएचसी व सीएचसी से मरीज को छोटी-मोटी जांच व बीमारी के चलते सीधे एएनएमएमसीएच रेफर कर दिया जा रहा है. इससे अस्पताल में मरीजों की संख्या बहुत अधिक रह रही है. रेफर मरीजों को भर्ती लेना मजबूरी है. इस तरह के मरीज रेफर होकर नहीं आने से अस्पताल पर लोड कम हो जायेगा. गंभीर मरीजों का इलाज करने में भी सहूलियत होगी. औरंगाबाद व गया के सीएस को पत्र देकर इस पर विराम लगाने की बात कही गयी है.
डॉ केके सिन्हा, अधीक्षक, एएनएमएमसीएच, गयाB
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