गया. जेइ-एइएस बीमारी के आने की आशंका में एक माह से अधिक समय बचा हुआ है. इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से इससे निबटने की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है. तैयारी की बदौलत ही पिछले तीन वर्षों में इसकी चपेट में आनेवाले बच्चों की संख्या में कमी आयी है, तो इसके शिकार एक भी बच्चे की जान नहीं गयी है. यहां यह खतरा धान के फसल की रोपनी से कटनी तक बना रहता है. डॉक्टरों ने बताया कि सूअर बाड़ाें के आसपास रहनेवाले बच्चों को जेइ की वैक्सीन तत्परता से दी जा रही है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, 2022-23-24 में एक भी मौत नहीं हुई. वहीं 2021 में जेइ व एइएस के शिकार एक-एक बच्चे की मौत हुई थी. 2019 में एइएस के शिकार 13 व जेइ के शिकार दो बच्चों की मौत हुई थी. बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए विभाग की ओर से प्रचार-प्रसार पर काफी जोर दिया गया. इसमें नीचे से लेकर ऊपरी स्तर तक लोगों से सहयोग लिया गया. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में जेइ-एइएस के खतरे को देखते हुए 186 बेड आरक्षित किये गये हैं. इसके साथ मरीजों को बड़े अस्पताल तक पहुंचाने के लिए 61 एसी एंबुलेंस का इंतजाम किया गया है.
अस्पतालों में नहीं होगी किसी को परेशानी
हर स्तर पर अस्पतालों में इंतजाम किया गया है. पीड़ित बच्चे अस्पताल पहुंचते हैं, तो उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. दवा, इलाज के साथ अन्य तरह की सुविधाओं का पहले ही दुरुस्त कर लिया गया है. कई राउंड में स्वास्थ्यकर्मी, डॉक्टर, आशा व आंगनबाड़ी सेविका को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. इस मामले में हर वक्त निगरानी रखी जा रही है.डॉ एमइ हक, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी
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