गया. दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के सोशियोलॉजिकल स्टडीज विभाग द्वारा शिक्षकों के लिए सामाजिक सुरक्षा मुद्दों पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन किया गया. राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (एनआइएसडी), सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में सोशियोलॉजिकल स्टडीज विभाग के अध्यक्ष प्रो एम विजय कुमार शर्मा के नेतृत्व में किया गया. पहले सत्र की शुरुआत उस्मानिया विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग के प्रो एसएफ चंद्रशेखर ने जंजीरों को तोड़ना व भारतीय युवाओं में नशीली दवाओं के दुरुपयोग का मुकाबला करना विषय पर बात कर की. उन्होंने परिवार, व्यक्तियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य व समाज पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रभावों के बारे में चर्चा की. उन्होंने मजबूत दवा कानून बनाकर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के निवारक समाधानों के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने सामाजिक रक्षा सुनिश्चित करने में राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (एनआइएसडी) की भूमिका पर प्रकाश डाला.
असली प्यार इंसानियत में ही निहित है
वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ रवेंद्र सिंह जादौन ने भारतीय न्याय संहिता पर बात की, जो भारतीय समाज की बदलती जरूरतों के आधार पर तैयार की गयी है. भारतीय न्याय संहिता उन लोगों को आत्म-पुष्टि का अवसर देती है, जो खुद को सुधारना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को निचली अदालत में दोषी ठहराया जाता है, तो वह जिला अदालत, डबल बेंच, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में दया याचिका के लिए आवेदन कर सकता है. अगर वह उससे संतुष्ट नहीं है, तो वह भारत के राष्ट्रपति के पास जा सकता है और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का भी दरवाजा खटखटा सकता है. राजस्थान के वनस्थली विश्वविद्यालय की प्रो मनु सिंह ने भारत में वृद्धावस्था पर व्याख्यान में जीवन की सभी सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक व मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को शामिल करते हुए वृद्धावस्था को परिभाषित किया और मृत्यु तक वृद्ध होते रहने को शामिल किया. कोंच में वृद्धा आश्रम के संस्थापक अजय प्रताप सिंह ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि असली प्यार इंसानियत में ही निहित है, असली सामाजिक कार्य तभी हो सकता है, जब हम खुद को समाज की सेवा में डुबो दें और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ रहें.
इंटरैक्टिव प्रस्तुति में पांच टीमों ने लिया भाग
जनसंपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि विभिन्न सत्रों का समन्वय डॉ समापिका महापात्रा द्वारा समन्वित एक इंटरैक्टिव प्रस्तुति हुई. इसमें पांच टीमों ने पांच विषयों पर भाग लिया. प्रतिभागियों को पांच समूहों में विभाजित किया गया था, जहां उन्होंने भिक्षावृत्ति, नशीली दवाओं के दुरुपयोग, बुजुर्ग व्यक्ति, ट्रांसजेंडर व मानव तस्करी पर एक प्रस्तुति देकर सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों पर अपने विचार साझा किया. समापन समारोह में डीएसडब्ल्यू प्रो पवन कुमार मिश्रा, प्रो प्रणव कुमार, डीन, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज एंड पॉलिसी, प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक डॉ हरेश नारायण पांडेय, प्रो अनिल कुमार सिंह झा, डॉ समापिका महापात्रा, डॉ पारिजात प्रधान, डॉ प्रियरंजन, डॉ रिंकी और डॉ एपीए कबीर के साथ-साथ विभिन्न विभागों के अन्य शिक्षक और छात्र मौजूद थे. अंत में डॉ. हरेश नारायण पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है