Bihar News: इस परियोजना में 13 गांवों की जमीन शामिल है. इनमें मंगरूचक, वनवासी, सुगासोत, किशोरीया, लेमबोगढ़ा, गांगी, वभनदेव, खरांटी, मसौंधा, बरिया, गाजीचक, गमहरिया और इनबोरबा गांव शामिल हैं. यह इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना क्षेत्र के विकास के लिए शुरू की गई है, लेकिन जमीन के मुआवजे को लेकर किसानों की चिंता बढ़ा रही हैं. सरकार का उद्देश्य परियोजना को जल्द पूरा करना है, जबकि ग्रामीण अपनी जमीन के उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी
सूत्रों के अनुसार लगभग 100 कंपनियों के अधिकारी जमीन का निरीक्षण कर चुके हैं. अधिग्रहीत जमीन के चारों तरफ पिलर लगाकर उसकी सीमा तय की जा रही है. इस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को रेलवे, हवाई मार्ग और सड़क तीनों से जोड़ा जाएगा, जिससे व्यापार और यातायात दोनों में सुविधा होगी.
क्लस्टर सेंटर का होगा निर्माण
कुल 1113.92 एकड़ जमीन पर क्लस्टर सेंटर बनेगा. वहीं, कुछ ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. अंचल अधिकारी परीक्षित कुमार ने बताया कि किसानों की जमीन की जांच कर उन्हें भू-अर्जन विभाग को सौंप दिया गया है और मुआवजे की प्रक्रिया चल रही है.
मजबूत होगी सड़क कनेक्टिविटी
इस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से रतनी के पास से चंदा होते हुए फोर लेन सड़क का निर्माण होगा. इसके लिए निविदा हो चुकी है और काम जल्द शुरू होगा. इसके अलावा तीन और सड़कों का निर्माण प्रस्तावित है. यह गलियारा पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगा.
बढ़ेगे रोजगार
करीब 1650 एकड़ में से 1040 एकड़ में इंडस्ट्रियल फैक्ट्री लगेंगी. बाकी जगह सड़क, खुला क्षेत्र और आवश्यक सेवाओं के लिए रखी जाएगी. यहां फूड प्रोसेसिंग, कपड़े, ऑटो पार्ट्स, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग प्रमुख रूप से स्थापित होंगे. इसका विकास चार चरणों में होगा और लगभग 1105 औद्योगिक इकाइयां लगने की संभावना है. इससे न सिर्फ इंडस्ट्रियल विकास होगा, बल्कि बिहार से बाहर रोजगार के लिए पलायन भी कम होगा. परियोजना पूरी होने पर लगभग 1 से 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.

