बोधगया. मगध विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय, ग्लोबल संस्कृत फोरम, नयी दिल्ली व आइक्यूएसी की ओर से मैपिंग द स्पेक्ट्रम ऑफ रिसर्च मेथाडोलॉजी विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का समापन शनिवार को हो गया. दूरस्थ शिक्षा विभाग के डॉ राधाकृष्णन सभागार हॉल में समापन सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो एसपी शाही ने मानविकी संकाय द्वारा कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए आयोजन से जुड़े सभी सदस्यों व शिक्षकों को बधाई दी. साथ ही, शोध के विषय में भविष्य में भी ऐसे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि बिहार में पहली बार इस तरह का कार्यशाला मगध विश्वविद्यालय में किया गया है जो आने वाले दिनों में शोधार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. हमारा लक्ष्य नैक में बेहतर ग्रेडिंग प्राप्त करना है, उस दिशा में हम लोग कार्य कर रहे हैं. ऊर्जावान और समर्पित शिक्षकों के बलबूते हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे व जहां कमियां हैं उसे पूरा किया जायेगा. इसमें आप सभी शिक्षकों का सहयोग प्राप्त हो रहा है. विश्वविद्यालय के पुरानी संस्कृति को सुधारने और गौरव गरिमा को वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं. समापन सत्र को प्रतिकुलपति प्रो बीआरके सिन्हा, एस सिन्हा कॉलेज, औरंगाबाद के प्राचार्य सुधीर कुमार मिश्रा, मौलाना मजहरूल हक अरबी और फारसी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एजाज अली अरशद, दाउदनगर कॉलेज के प्राचार्य प्रो एमएस इस्लाम, अंग्रेजी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो निभा सिंह ने संबोधित किया.
शोध के बिना हम ज्ञान की परंपरा का रक्षा नहीं कर सकते
कार्यशाला के छठे सत्र में शूरी विद्यासागर कॉलेज पश्चिम बंगाल के अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुशांत कुमार वर्धन, जेपी विश्वविद्यालय छपरा के संस्कृत के प्रोफेसर डॉ दिव्यांशु कुमार व महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के हिंदी विभाग के प्रोफेसर अनुराग कुमार ने शोध पर आधारित वक्तव्य मुख्य रूप से प्रस्तुत किया. संस्कृत के प्रोफेसर दिव्यांशु कुमार ने संस्कृत में शोध और अन्वेषण पर चर्चा करते हुए कहा कि सभ्यताओं के विकास के पहले से ही शोध कार्य हो रहा है. शोध प्रारूप के निर्माण के बारे में सारगर्भित तरीके से बताया. उन्होंने कहा कि शोध के बिना हम ज्ञान की परंपरा का रक्षा नहीं कर सकते. शोध कोई निश्चित विषय वस्तु नहीं है, बल्कि ज्ञान का एक भंडार है. धन्यवाद ज्ञापन डॉ परम प्रकाश राय ने किया.
पत्रकारिता में बढ़ते बजारीकरण व व्यवसायीकरण ने चुनौतियां खड़ा कर दी है
सातवें सत्र में ऑनलाइन मोड में पटना विश्वविद्यालय के फारसी विभाग के प्रोफेसर सादिक हुसैन जुड़े थे. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के प्रो डॉ धीरेंद्र कुमार राय ने पत्रकारिता विषय में शोध करने के विभिन्न उपायों से अवगत करते हुए कहा कि पत्रकारिता में गुणात्मक शोध होना चाहिए. शोध के नैतिक मूल्यों को जानना जरूरी है क्योंकि आज का युग सूचना व ज्ञान का है. इस दौर में पल-पल की सूचनाओं लोगों को मिलती रहती है. पत्रकारिता के संदर्भ में शोध निष्पक्ष और गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए. इसके बिना सबसे अच्छे इरादे वाले लेख भी विश्वसनीयता खो सकते हैं.
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