जितेंद्र मिश्रा, गया. सिंगल यूज प्लास्टिक की थैली यूज करने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है. एक जुलाई 2022 से बिहार में 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाली प्लास्टिक के सामान और थर्मोकोल से बने विभिन्न तरह से सामान जैसे कि थर्मोकोल के कप, प्लेट, चम्मच सहित सजावटी सामान पर प्रतिबंध लगाया गया है. प्रतिबंध की घोषणा की शुरुआत में जिला प्रशासन की ओर से छापेमारी की गयी. बाद में सब कुछ आया-गया हो गया. फिलहाल देखा जाये, तो बाजार में ठेले, खोमचा, होटल, बड़े-छोटे दुकानों में इसका खुलेआम उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों में इसका प्रयोग भी मरीजों के लिए खाना व विभिन्न तरह के सामान लाने में भी किया जाता है. अस्पताल में पहले से ही बीमार मरीज रहते हैं. ऐसे में प्लास्टिक की थैली में खाना लाकर देना उनके लिए बहुत ही खतरनाक होता है. इसके बाद भी यहां इसका उपयोग हो रहा है. शहर के कचरा एक माह में करीब 14600 टन कचरा निकलता है. इसमें प्लास्टिक की थैली की मात्रा 365 टन होती है. एएनएमएमसीएच में सिर्फ देखा जाये, तो एक टन कचरा हर दिन निकलता है. इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक की मात्रा 30 से 50 किलो तक होती है. यह आंकड़े बहुत ही खतरनाक हैं. प्लास्टिक की थैली को नष्ट करना नहीं होता आसान पहले बाजार से कोई भी सामान लाने के लिए कपड़े का थैला लेकर ही लोग घर से निकलते थे. लेकिन, समय के साथ-साथ अपनी सहूलियतों के हिसाब से लोगों ने पुरानी आदत को दरकिनार कर दिया. बाजार में थैला लेकर जाना हर कोई तौहीन समझता है. जानकारों का कहना है कि प्लास्टिक की एक थैली को नष्ट होने में 20 से 1000 साल तक लग जाते हैं. प्लास्टिक की बोतल को 450 साल, प्लास्टिक कप को 50 साल और प्लास्टिक की परत वाले पेपर कप को नष्ट होने में करीब 30 साल लगते हैं. बहरहाल, प्लास्टिक प्रदूषण से छुटकारा दिलाने का बाद ही आने वाले पीढ़ी को स्वस्थ वातावरण मुहैय्या करा सकेंगे. हर किसी को इसका उपयोग नहीं करके लोगों को इसके लिए प्रेरित करना होगा. निगम की हर कोशिश दिख रही नाकाम नगर निगम की ओर से प्लास्टिक की थैली पर प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए हर समय अभियान चलाया जाता है. कुछ जगहों पर कार्रवाई करके निगम के अधिकारी अपना काम समाप्त मान लेते हैं. बाजार में एक भी जगह पर प्लास्टिक पर प्रतिबंध नहीं दिखता है. सिटी मैनेजर आसिफ सेराज कहते हैं कि निगम की ओर से कार्रवाई की जाती है. लोगों को भी अपनी आदतों में बदलाव लाकर इसमें सहयोग करना होगा. सिंगल यूज प्लास्टिक बैग स्वास्थ्य के लिए खतरनाक सिंगल यूज डिश और प्लास्टिक बैग बनाने में चार तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वे मुलायम और चमकदार रहें. अगर इनका इस्तेमाल गर्म खाना परोसने के लिए करने से लोगों को विभिन्न तरह की बीमारी का शिकार बना रहा है. इस तरह से प्लास्टिक बैगों के उपयोग से तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार उत्पन्न हो सकते हैं, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है तथा सिरदर्द और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है. पॉलीपोक्स में भोजन वितरण की प्रक्रिया में, प्लास्टिक से फिनोल और थैलेट रसायन निकल सकते हैं, जो ऐसे खाद्य पदार्थों के उपभोक्ता को नुकसान पहुंचा सकते हैं. प्लास्टिक की वस्तुओं को रिसाइकिल करके बनाए गये काले प्लास्टिक बैग और भी खतरनाक होते हैं. कागज या टोट बैग का इस्तेमाल करके ही स्वस्थ रह सकते हैं. डॉ एनके पासवान, चिकित्सक मेडिसिन विभाग, एएनएमएमसीएच- फोटो- गया- 03
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