बोधगया. राष्ट्र निर्माण में मठ मंदिर तथा संन्यासियों की भूमिका पर बोधगया मठ परिसर में आयोजित तीन दिवसीय ब्रह्मचारी तथा संन्यासियों के कार्यक्रम के तहत गुरुवार को विश्व शांति के लिए रथयात्रा निकाली गयी. महाबोधि सांस्कृतिक केंद्र से बोधगया मठ तक एक रथयात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें इस्कॉन के 300 संन्यासियों व बोधगया मठ के सभी संन्यासियों, विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारी सहित बोधगया के स्थानीय नागरिक व समाज सेवियों की उपस्थिति रही. रथ यात्रा में भारत माता के चित्र को आगे रखते हुए भगवान विष्णु तथा भगवान बुद्ध की इस पावन भूमि में आने वाले लोगों व स्थानीय निवासियों की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की गयी. वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए बहुत ही हर्ष और उत्साह के साथ इस रथ यात्रा का आयोजन किया गया. बोधगया मठ के स्वामी विवेकानंद गिरि ने बताया कि आज भारतीय समाज में कुछ लोग जिस प्रकार से आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण एक दूसरे से मतभेद और टकराव रख रहे हैं, इस माहौल में भगवान बुद्ध की धरती से हम सभी भारतवासियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि हम सभी के शरीर, भाषा, खान-पान, रहन-सहन, अलग-अलग हैं, किंतु हम भारत में निवास करने वाले लोग एक ही परिवार के हैं. हम सभी आपस में भाई-भाई हैं. राजनीतिक रूप से प्रेरित कुछ लोग जो समाज को विषाक्त करने व तोड़ने वाली बात रखते हैं, उनके लिए भी भगवान से हम सभी की यही प्रार्थना है कि भगवान उनको भी सद्बुद्धि दें और वह भी साथ मिलकर सुख से जीवन जीते हुए एक उन्नत भारत, एक उन्नत राष्ट्र का निर्माण करें. भगवान विष्णु के नौवें अवतार के रूप में हैं बुद्ध इस्कॉन के स्वामी जगदीश दास ने कहा कि इस्कॉन पूरी दुनिया में शांति और प्रेम का संदेश दे रहा है. भगवान कृष्ण और गीता ने भी समाज को इसी का संदेश दिया है. आज हम बोधगया में जो कार्यक्रम कर रहे हैं वह शांति के लिए हैं. इसी प्रकार से समय-समय पर पूरे भारत के संन्यासी और ब्रह्मचारी जाकर शांति के लिए कार्यक्रम आयोजित करते रहेंगे. भगवान विष्णु के नौवें अवतार भगवान बुद्ध की धरती पर हम सदैव आते रहे हैं और यहां आकर सुख और शांति का अनुभव करते हैं. विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने कहा कि भगवान विष्णु के नौवें अवतार भगवान बुद्ध हमारे लिए सदैव पूजनीय और स्मरणीय रहे हैं. विष्णुपद मंदिर में जिस प्रकार से हम भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं, उसी प्रकार से बोधगया में भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना करते हैं.
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