गया. सीयूएसबी के स्कूल ऑफ हेल्थ साइंस के अंतर्गत फार्मेसी विभाग द्वारा औषधि खोज, विकास और वितरण में प्रगति: चुनौतियां और अवसर विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ. फार्मास्युटिकल विज्ञान में प्रगति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस सम्मेलन में देशभर से फार्मेसी उद्योग के पेशेवर, संकाय सदस्य, शोधकर्ता और विद्यार्थी जमा हुए हैं. सत्र का उद्घाटन कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के अध्यक्षीय भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने आयोजक विभाग की सराहना करते हुए सभी प्रतिभागियों का अभिवादन किया. अपने संबोधन में प्रो सिंह ने औषधि खोज और विकास में वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए शिक्षाविदों, उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया. कुलपति के संबोधन के बाद सम्मेलन में विशेषज्ञ सत्रों में सम्मेलन के विषय पर परिचर्चा शुरू हुई. सत्र की शुरुआत में सैन मेडिकेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सुमित अग्रवाल ने स्थानीय विनिर्माण से वैश्विक बाजारों तक: भारत फार्मा 2.0 का उदय पर बात की. इसके बाद प्रो अरुण कुमार पांडे ने फार्मा (भारत और अंतरराष्ट्रीय) में विकास और अवसर पर अपने विचार साझा किये. अगले वक्ता डीआइपीएएस-डीआरडीओ, नयी दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ राजेश अरोड़ा ने मिशन-क्रिटिकल ऑपरेशन के लिए प्रोफिलो-थेरेप्यूटिक्स का उपयोग पर अपना वक्तव्य दिया. सीयूएसबी के पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि औपचारिक उद्घाटन के बाद फार्मेसी प्रमुख प्रो विवेक दवे ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया. उद्घाटन सत्र में स्कूल ऑफ हेल्थ साइंस के डीन प्रो सुब्रत के भट्टा मिसरा और पीसीआइ में शिक्षा विनियमन के अध्यक्ष प्रो दीपेंद्र सिंह ने भाषण दिये. उद्घाटन समारोह में विभिन्न विभागों के डीन और विभागाध्यक्ष उपस्थित थे जिसमें प्रो आशीष शंकर, प्रो अमिया प्रियम, प्रो किरण कुमारी, प्रो राम प्रताप सिंह और प्रो वेंकटेश सिंह शामिल थे. डॉ अरुण कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया, जिनके विचारपूर्ण टिप्पणियों ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए आभार व्यक्त किया.
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