गया. गया शहर के दक्षिण-पश्चिम कोने पर स्थित ब्रह्मयोनि पहाड़ी का सीना चीर कपिलधारा से पुलिस लाइन तक बीचो-बीच पद मार्ग बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाये देवानंद देवर्षि के साथ अब कपिलधारा के कई लोग हो गये हैं. 18 फरवरी 2011 माघी पूर्णिमा के दिन गुरु रविदास महाराज की जयंती मना कर देवानंद ने इस मार्ग को आम लोगों के लिए सुलभ बनाने का संकल्प लिया. दूसरे ही दिन 19 फरवरी 2011 से कुदाल, गैंता व हथौड़ी उठा पहाड़ का सीना चीरने निकल पड़े, तब न केवल आसपास बल्कि अन्य लोगों का ताना सुनना पड़ा. कोई पागल कहता तो कोई कहता कि जमीन कब्जा करने को लेकर यह काम शुरू किया है. बाद में मुहल्ले के नंदलाल पासवान, विजय पासवान, परशुराम पासवान, कारू पासवान, सहदेव यादव, मनोज पासवान, सुदामा दास सहित अन्य लोगों ने शारीरिक रूप से सहयोग प्रदान करना शुरू कर दिया और करीब 3000 फुट तक रास्ते को साफ कर अब तक लगभग 85 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है. अब इस रास्ते टूू व्हीलर के जाने भर की जगह हो गयी है. उम्मीद है कि जल्द ऑटो व चार पहिया वाहन भी आने-जाने लगेंगे.
सात-आठ किलोमीटर की दूरी घट कर एक से डेढ़ की हो जायेगी
देवानंद देवर्षि ने बताया कि 25 फरवरी 2011 को जब यहां की डीएम वंदना प्रेयसी थीं, तब इस काम के लिए आवेदन देकर स्वीकृति ली थी. इस मार्ग के चालू होने जाने से केंदुआ, केंदुई, कपिलधारा, माड़नपुर, खटकाचक, गोपी बिगहा, भुसुंडा, बोधगया, आइटीआइ मानपुर आने-जाने में की राह आसान हो जायेगी. दूसरी तरफ रास्ता पार करके पुलिस लाइन, सिकरिया मोड़, गया कॉलेज, डोभी-शेरघाटी रोड, मेडिकल अस्पताल आना-जाना और आसान हो जायेगा. सात-आठ किलोमीटर की दूरी घट कर एक से डेढ़ की हो जायेगी.
पहाड़ी को पार कर आने के दौरान दादी का पैर हुआ था फ्रैक्चर
इसके पास में शक्तिपीठ मां मंगलागौरी, ब्रह्मयोनि पहाड़ी की गोद में कपिल मुनि का आश्रम व गुफा है, जिसे कपिलधारा के नाम से जानते हैं. खजुरिया स्थान भी है, जहां बजरंगबली का मंदिर व पहाड़ से गिरता फॉल है, जिसका पानी पाचनशक्ति के लिहाज से फायेदेमंद है. इसी पहाड़ के बीचोबीच बुद्ध पर्यटक स्थल का निर्माण भी 2018 से चल रहा है. देवानंद माउंटेनमैन दशरथ मांझी से प्रेरित हुए थे. इस मार्ग को सुलभ बनाने के प्रति वह बताते हैं कि विद्यार्थी लाइफ में गया कॉलेज से पढ़कर जब वह आ रहे थे, तभी उनकी दादी पुश्तैनी गांव पुनाकला से आ रही थीं. उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष की थी. पहाड़ी को पार कर कपिलधारा-माड़नपुर आने के दौरान गिर पड़ीं और पैर में फ्रेक्चर आ गया, तभी उनके मन में खटका कि पहाड़ी को साफ-सुथरा कर झाड़ी हटा वह एक दिन आम लोगों के लिए राह आसान करेंगे.
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