संवाददाता, गया जी. आयु, आरोग्य व धन प्राप्ति की कामना को लेकर अक्षय नवमी मनाने की धार्मिक, आध्यात्मिक, पौराणिक परंपरा रही है. इस परंपरा का निर्वहन हिंदू धर्म से जुड़े अधिकतर लोग आज भी करते हैं. इस बार अक्षय नवमी 30 अक्तूबर को मनाया जायेगा. आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर पूजन करने, भूरे (भुआ) में पंचरत्न रखकर गुप्त दान करने व परिवार सहित भोजन करने वाले लोगों की आयु, आरोग्य व धन की प्राप्ति होने की मान्यता है. इसके निमित्त शहर के आजाद पार्क समेत कई अन्य जगहों पर अक्षय नवमी मनायी जायेगी. आजाद पार्क में इस आयोजन को लेकर सुबह से लेकर दोपहर बाद तक पूरे दिन मेला सा लगा रहता है. अक्षय नवमी मनाने के लिए इन जगहों पर आने वाले श्रद्धालु ब्राह्मणों के निर्देशन में सभी अनुष्ठान पूरा करते हैं. बताया जाता है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनायी जाती है. इस दिन स्वस्थ रहने की कामना के साथ आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है. साथ ही आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है. इस तिथि को आंवला का पूजन कर प्रसाद के रूप में ग्रहण भी किया जाता है. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किया गया कोई भी शुभ काम व दान अक्षय फल देने वाला होता है. क्योंकि, इस दिन इस पेड़ में कई देवी-देवताओं के वास की मान्यता है. इधर, अक्षय नवमी को लेकर आंवला व भूरे की मांग बढ़ गयी है. मंगलवार को खुदरा बाजार में भूरा (आकार के अनुसार) 50 से 80 रुपये प्रति पीस व आमला 40 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा गया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

