गया. जल संरक्षण के क्षेत्र में जिले ने बीते पांच वर्षों में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. राज्य सरकार के अगुवाई में चलाये जा रहे जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत डीएम डॉ त्यागराजन एसएम ने बताया कि जिले में 2019 से अबतक 1410 नये जल स्रोतों का निर्माण किया गया है. इस अभियान का उद्देश्य केवल जल संरक्षण ही नहीं बल्कि पर्यावरण संतुलन और भूजल स्तर को बनाये रखना भी है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार इन जल स्रोतों के निर्माण में सबसे अधिक योगदान ग्रामीण विकास विभाग का रहा है, जिसने 973 जल स्रोतों का सृजन किया. इसके अलावा कृषि विभाग ने 340 और पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने 95 नये जल स्रोतों का निर्माण किया है. केवल नये जल स्रोतों का निर्माण ही नहीं, राज्य सरकार व जिला प्रशासन ने पुराने सार्वजनिक जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार पर भी विशेष ध्यान दिया है. 2019 से 2025 तक के दौरान सार्वजनिक तालाब/पोखर का जीर्णोद्धार किया गया. 9246 आहरों और पईनों को फिर से संरचित और उपयोग के योग्य बनाया गया. पुराने जलस्रोतों के संरक्षण और नये जलस्रोतों के सृजन से राज्य में भूजल का जो स्तर पहले लगातार गिरता जा रहा था, उसमें भी सुधार आ रहा है. गौरतलब है कि जलस्रोत भूजल के स्तर को बनाए रखने में मददगार साबित होते हैं. इसके साथ ही जलस्रोतों के आसपास का पारिस्थितिकी तंत्र भी संरक्षित होता है. क्या है लक्ष्य
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है