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गया : सुहागिनाें ने गुरुवार काे वट सावित्री पूजा कर अपने पति के दीर्घायु की कामना की. सुबह से ही वट (बरगद) वृक्ष के नीचे महिलाआें की भीड़ जुटनी शुरू हाे गयी. वट वृक्ष की पूजा हुई. परिक्रमा कर सूत लपेटा गया व फल व पकवान प्रसाद के रूप में चढ़ाये गये. साथ ही ताड़ […]

गया : सुहागिनाें ने गुरुवार काे वट सावित्री पूजा कर अपने पति के दीर्घायु की कामना की. सुबह से ही वट (बरगद) वृक्ष के नीचे महिलाआें की भीड़ जुटनी शुरू हाे गयी. वट वृक्ष की पूजा हुई. परिक्रमा कर सूत लपेटा गया व फल व पकवान प्रसाद के रूप में चढ़ाये गये.
साथ ही ताड़ के पत्ते से बना पंखा व शृंगार के सामान भी चढ़ाये व पंडित जी से कथा सुना. कथा के अनुसार, सती सावित्री ने यमराज से अपने पति का प्राण लाैटवा लिया था. यह उनके सतीत्व का तप था जाे यमराज भी पराजित हाे गये थे. यह पूजा तभी से परंपरा के रूप में हाेती चली आ रही है, ऐसी मान्यता है. वट वृक्ष के नीचे पूजा करने का मकसद यह कि बरगद का पेड़ भी दीर्घायु हाेता है आैर उसकी शाखाएं काफी हाेती है.

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