कई ऐसी भी छात्राएं हैं जो पठन-पाठन का कार्य पूरा करने के बाद दिल्ली में बड़े स्तर पर व्यापार भी करते हुए सफलता के पायदान पर अग्रसर हैं. प्रिंसिपल डॉ सत्येंद्र प्रजापति ने बताया कि समस्याएं हैं. बावजूद बेहतरी के प्रयास किये जा रहे हैं. कॉलेज अपनी बिल्डिंग में कुछ ही माह के भीतर शिफ्ट हो जायेगा. निर्माण कार्य तेजी से चल रहे हैं. अपने भवन में कॉलेज के शिफ्ट होते ही विकास तेज होगा.
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कम हुए संसाधन, ठहर गया कॉलेज का विकास
गया: गौतम बुद्ध महिला कॉलेज की हालत दयनीय होती जा रही है. इसकी वजह कहीं से भी किसी प्रकार की कोई आर्थिक मदद नहीं मिलना है. इससे उसके विकास की गति भी रूक गयी है. आलम यह है कि उसे भवन के किराये के पैसे भी नहीं जुट रहे हैं. महाविद्यालय प्रबंधन को जैसे-तैसे कॉलेज […]
गया: गौतम बुद्ध महिला कॉलेज की हालत दयनीय होती जा रही है. इसकी वजह कहीं से भी किसी प्रकार की कोई आर्थिक मदद नहीं मिलना है. इससे उसके विकास की गति भी रूक गयी है. आलम यह है कि उसे भवन के किराये के पैसे भी नहीं जुट रहे हैं. महाविद्यालय प्रबंधन को जैसे-तैसे कॉलेज चलाना पड़ रहा है. दरअसल लड़कियों को ट्यूशन फीस सरकार की ओर से माफ कर दिया गया है.
इसका खासा असर महिला कॉलेज पर पड़ा. कॉलेज के आर्थिक स्रोत बंद हो गया. सरकार ने ट्यूशन फीस माफ तो कर दिये पर उसके एवज में कॉलेज को आर्थिक मदद करने के लिए किसी प्रकार के स्रोत का प्रबंध नहीं किया. इसका परिणाम कॉलेज खर्च पर पड़ने लगा. मसलन विकास के कार्य जहां थे, वहीं रूक गये. थोड़ा बहुत कार्य जो चल रहा है वह डेवलपमेंट चार्ज के भरोसे. कॉलेज में छात्राओं से सिर्फ डेवलपमेंट चार्ज लिया जा रहा है. इसके अलावा उनसे किसी प्रकार की कोई भी फीस नहीं ली जाती है.
हजार से अधिक संख्या में छात्राएं
ऐसा नहीं है कि कॉलेज की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए छात्राओं का रुझान कम हुआ है. छात्राओं की संख्या कॉलेज की क्षमता के मुताबिक सराहनीय है. वर्तमान में 1000 से अधिक छात्राएं अध्ययनरत हैं. कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई होती है. यहां से पढ़ कर निकलनेवाली छात्राएं सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में उच्च पदों पर मजबूत पकड़ के साथ आसीन हैं.
किराये के भवन में चल रहा कॉलेज
गौतम बुद्ध महिला कॉलेज अपने स्थापना काल से ही किराये के भवन में चल रहा है. ट्यूशन फीस माफी के आदेश से पहले कुछ हद तक कॉलेज की हालत ठीक थी. पठन-पाठन का भी माहौल बेहतर था. एडमिशन कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते थे, लेकिन अब पहले जैसी स्थिति नहीं है. हालत खराब होते जा रहा है़ किराये के भवन की छत भी जर्जर हो गयी है. कभी भी हादसा हो सकता है. वहीं, भवन का मालिक भी बार-बार कोर्ट नोटिस दे रहा है, पर लाचार व बेबस कॉलेज प्रबंधन कुछ भी नहीं कर पा रहा है. गनीमत है कि कॉलेज के शिक्षकों को सरकार की ओर से पगार मिल जाती है. इसकी वजह से कॉलेज शिक्षक पठन-पाठन के कार्य में जुट हैं.
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