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नगर निगम चुनाव में रिजर्व होंगे कई वार्ड, दिग्गजों की बढ़ी बेचैनी
गया": नगर निगम के चुनाव में इस बार कई दिग्गजों (वार्ड पार्षद) की सीट (वार्ड) आरक्षित होगी. इस कारण अधिकतर ने नये ठौर व विकल्प तलाशने शुरू कर दिये हैं. नगरपालिका अधिनियम के अनुसार, हर 10 साल पर वार्डों में आरक्षण की कोटि परिवर्तित होती है. हालांकि, अभी निर्वाचन आयोग की तरफ से किसी प्रकार […]
गया": नगर निगम के चुनाव में इस बार कई दिग्गजों (वार्ड पार्षद) की सीट (वार्ड) आरक्षित होगी. इस कारण अधिकतर ने नये ठौर व विकल्प तलाशने शुरू कर दिये हैं. नगरपालिका अधिनियम के अनुसार, हर 10 साल पर वार्डों में आरक्षण की कोटि परिवर्तित होती है. हालांकि, अभी निर्वाचन आयोग की तरफ से किसी प्रकार की अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. बावजूद इसके नियम के अनुसार, अपना आंकड़ा बैठा कर तैयारी शुरू हो गयी है.
नगरपालिका अधिनियम के अनुसार, अतिपिछड़ा वर्ग के आरक्षण में जनसंख्या की अधिकता तय की गयी है. वहीं अनुसूचित जाति के लिए सीट आरक्षण में इस जाति की जनसंख्या को ही आधार बनाया जाना है. इसके साथ ही अगर पहले से अनुसूचित जाति या अधिक जनसंख्यावाली सीट आरक्षित हैं, तो उसके 10 साल बाद चक्र के अनुक्रम में दूसरे वार्डों के नंबर आयेंगे. इन्हीं वार्डों में महिलाओं के आरक्षण की संख्या तय की जायेगी. निर्वाचन आयोग अगर इसके अनुसार ही अपनी अधिसूचना जारी करता है, तो मेयर व डिप्टी मेयर के साथ-साथ सशक्त स्थायी समिति के अधिकतर सदस्य को अपना नया ठौर तलाशना होगा. इसका असर तत्काल में देखने को मिल रहा है. कई दिग्गज अपने संभावित चुनावी मैदान में काम पर ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
जहां उठा मामला
कटिहार नगर निगम में चुनाव की घोषणा के बाद पूर्व शिक्षामंत्री राम प्रकाश महतो ने परिवाद संख्या 7492/16 के माध्यम से हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि नगरपालिका अधिनियम 12 व 13 दोनों में नगर निकाय के गठन का प्रावधान दिया गया है, जो लोगों को दिग्भ्रमित करता है. श्री महतो ने मांग की कि 2011 की जनगणना के आधार पर राज्य सरकार कुल पार्षदों की संख्या तय करे. कोर्ट ने आदेश जारी कर राज्य निर्वाचन आयोग को उचित कदम उठाने का निर्देश दिया. राज्य निर्वाचन आयोग के पत्र पर नगर विकास विभाग ने नगरपालिका नियम 13 को विलोपित करने का प्रस्ताव मंत्रिमंडल को भेज दिया, जिसमें तर्क दिया गया कि नियम 13 को विलोपित नहीं करने पर राज्य में कई जगह मुकदमे दर्ज होंगे. पांच अगस्त को इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर पांच अगस्त, 2016 को लगा दी. उसके बाद यह तय हो गया कि सीट व आरक्षण का निर्धारण 2011 के जनगणना के अनुरूप होगा. इसके बाद यह निश्चित हो गया है कि 2021 से पहले अब वार्डों की संख्या नहीं बढ़ेगी.
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