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कभी बूंद-बूंद पानी के लिए तरसे थे, अब पानी से हो गये आजिज
गया: मुस्तफाबाद इलाके में मौसम की मार ऐसी है कि दो महीने पहले तक लोग पानी के लिए परेशान थे. बूंद-बूंद के लिए तरस रहे थे और अब पानी व कीचड़ के चलते ही परेशान हैं. दिक्कत यह भी है कि इधर हर घर की नाली का पानी रोड पर ही गिरता है. मुहल्ले में […]
गया: मुस्तफाबाद इलाके में मौसम की मार ऐसी है कि दो महीने पहले तक लोग पानी के लिए परेशान थे. बूंद-बूंद के लिए तरस रहे थे और अब पानी व कीचड़ के चलते ही परेशान हैं.
दिक्कत यह भी है कि इधर हर घर की नाली का पानी रोड पर ही गिरता है. मुहल्ले में जगह-जगह नाली का पानी जमा है, इसके कारण मुहल्ले में संक्रामक बीमारी फैलने की भी आशंका बनी रहती है. मुहल्ले के लोगों ने कई बार गली में ईंट का टुकड़ा डाल कर स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया, परंतु एक-दो दिन ठीक रहता, बाद में फिर पहले जैसी हालत हो जाती. उल्लेखनीय है कि मुहल्ले में ज्यादातर स्लम एरिया है. इसके साथ ही रिहायशी इलाका भी है. यहां पर लोग मकान बनाने में लाखों रुपये खर्च तो कर दिये, पर नाली-गली का ख्याल नहीं रहा.
नगर निगम की भी है मजबूरी
नगर निगम का एरिया बड़ा होने के बाद हर वक्त योजनाओं को पूरा करने के लिए फंड का अभाव रहता है. सीमित संसाधन में नगर निगम कई इलाकों में विकास योजनाएं पूरी करा रहा है. पर, तत्काल मिलनेवाले फंड हर बार विकास कार्य को पूरा करने के लिए कम पड़ जाते हैं. मुस्तफाबाद वार्ड नंबर 30 का हिस्सा है. वार्ड 30 का इलाका बड़ा होने के कारण व साल में 10 नयी कॉलोनी बसने की वजह से यहां पर नगर निगम लोगों की मांग को पूरा नहीं कर पाता. मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना से नगर निगम के सभी वार्डों में तीन लाख की विकास योजना पूरी करानी है. पार्षद की बात पर विश्वास करें, तो तीन लाख में महज तीन सौ फुट नाली का निर्माण हो सकेगा. धन की कमी के कारण चाह कर भी विकास योजनाएं पूरी नहीं हो पातीं.
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